Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 08-Oct-2018 )
08-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - सदा खुशी में तब रह सकेंगे जब पूरा निश्चय होगा कि हम भगवानुवाच ही सुनते हैं, स्वयं भगवान हमें पढ़ा रहे हैं''
 
प्रश्नः-ड्रामा अनुसार इस समय सभी प्लैन क्या बनाते हैं और तैयारी कौन सी करते हैं?
उत्तर:-इस समय सभी प्लैन बनाते हैं इतने साल में इतना अनाज पैदा करेंगे। नई दिल्ली, नया भारत होगा। लेकिन तैयारियां मौत की करते रहते हैं। सारी दुनिया के गले में मौत का हार पड़ा हुआ है। कहावत है नर चाहत कुछ और, भई कुछ औरे की और..... बाप का प्लैन अपना है, मनुष्यों का प्लैन अपना है।
 
गीत:-किसी ने अपना बना के मुझको......                           ओम् शान्ति।
 
निराकार भगवानुवाच ब्रह्मा तन द्वारा। यह पहली बात तो पक्की कर लेनी चाहिए कि यहाँ कोई मनुष्य नहीं पढ़ाते, निराकार भगवान् पढ़ाते हैं। उनको हमेशा परमपिता परमात्मा शिव कहा जाता है। बनारस में शिव का मन्दिर भी है ना। पहले-पहले आत्मा को यह निश्चय होना चाहिए कि बेहद का बाप हमको पढ़ाते हैं। जब तक यह निश्चय नहीं तो मनुष्य कोई काम का नहीं है। कौड़ी तुल्य है। बाप को जानने से हीरे तुल्य बन जाते हैं। कौड़ी तुल्य भी भारत के मनुष्य बनते हैं, हीरे तुल्य भी भारत के मनुष्य बनते हैं। बाप आकर मनुष्य से देवता बनाते हैं। पहले जब तक यह निश्चय नहीं है कि भगवान् पढ़ाते हैं, वह जैसे कि इस कॉलेज में बैठते भी कुछ नहीं समझते हैं। वह खुशी का पारा नहीं चढ़ता। वह है हमारा मोस्ट बिलवेड बाप, जिसको भक्ति मार्ग में दु: के समय पुकारते थे - हे परमात्मा, रहम करो। यह आत्मा कहती है, मनुष्य तो समझते नहीं कि लौकिक बाप होते हुए भी हम कौन-से बाप को याद करते हैं? आत्मा मुख द्वारा कहती है यह हमारा लौकिक बाप है, यह हमारा पारलौकिक बाप है। तुम अब देही-अभिमानी बने हो, बाकी मनुष्य हैं देह-अभिमानी। उनको आत्मा और परमात्मा का पता ही नहीं है। हम आत्मायें उस परमपिता परमात्मा के बच्चे हैं - यह ज्ञान कोई को भी नहीं है। बाप पहले-पहले यह निश्चय कराते हैं भगवानुवाच, मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ। तुम देह सहित देह के जो भी सम्बन्ध हैं, उनको भूल अपने को आत्मा निश्चय कर मुझ बाप को याद करो। कोई मनुष्य वा कृष्ण आदि ऐसे कह सकें। यह है ही झूठी माया, झूठी काया, झूठा सब संसार। एक भी सच्चा नहीं। सचखण्ड में फिर एक भी झूठा नहीं होता। यह लक्ष्मी-नारायण सचखण्ड के मालिक थे, पूज्य थे। अभी भारतवासी धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन पड़े हैं इसलिए नाम ही है भ्रष्टाचारी भारत। श्रेष्ठाचारी भारत सतयुग में होता है। वहाँ सब सदैव मुस्कराते हैं, कभी बीमार, रोगी नहीं होते। यहाँ भल कहते हैं फलाना स्वर्ग पधारा। परन्तु जानते कोई भी नहीं हैं। इस समय का राज्य भी मृगतृष्णा के समान है। एक हिरण की कहानी है ना - पानी समझ अन्दर गया और दलदल में फँस गया। तो इस समय है दुबन का राज्य। जितना श्रृंगारते हैं उतना और ही गिरते जाते हैं। कहते रहते हैं भारत में अनाज बहुत होगा, यह होगा....... होता कुछ भी नहीं। इसको कहा जाता है - नर चाहत कुछ और, और की और भई। बाप कहते हैं यह कोई राज्य नहीं है। राज्य तो उनको कहा जाए जहाँ कोई किंग-क्वीन हो। यह तो प्रजा का प्रजा पर राज्य है। इरिलीजस, अनराइटियस राज्य है। भारत में तो आदि सनातन देवी-देवताओं का राज्य था। अभी तो कितने धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन गये हैं। ऐसा और कोई देश नहीं जो अपने धर्म को नहीं जानते हो। कहा भी जाता है रिलीजन इज माइट। देवताओं का तो सारे विश्व पर राज्य था, अभी तो बिल्कुल ही कंगाल हैं। कितनी बाहर से मदद ले रहे हैं। उन्हों को है बाहुबल की मदद, तुमको है योगबल की मदद। तुम बच्चे जानते हो मोस्ट बिलवेड बाप है जिससे हमको 21 जन्म के लिए सदा सुख का वर्सा मिलता है। वहाँ कभी दु: की, रोने आदि की बात ही नहीं। कभी अकाले मृत्यु नहीं होती। तो आजकल के मुआफिक इकट्ठे 4-5 बच्चे पैदा करते हैं, एक तरफ देखो खाने के लिए नहीं है, कहते हैं बर्थ कन्ट्रोल करो। नर चाहत कुछ और.... समझते हैं न्यु देहली, नया राज्य है। परन्तु है कुछ भी नहीं। मौत सबके गले में पड़ा है। मौत की पूरी तैयारी कर रहे हैं। बरोबर 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक यह वही महाभारत लड़ाई है। बाप कहते हैं यह तो कोई राज्य नहीं है, यह मृगतृष्णा मिसल है। द्रोपदी का भी मिसाल है ना। तुम सब द्रोपदियां हो। बाप का तुमको फ़रमान है कि इन विकारों पर जीत पहनो। हम प्रतिज्ञा करते हैं - हम सदा पवित्र रह भारत को पवित्र बनायेंगे। यह पुरुष लोग पवित्र रहने नहीं देते। कई गुप्त गोपिकायें कितना पुकारती हैं कि यह हमको मारते हैं।
 
तुम जानते हो यह काम महाशत्रु तो मनुष्य को आदि, मध्य, अन्त दु: देने वाला है। बाप कहते हैं इस पर तुम्हें जीत पानी है। गीता में भी है भगवानुवाच, काम महाशत्रु है। परन्तु मनुष्य समझते नहीं। बाप कहते हैं पवित्र बनो तब तुम राजाओं का राजा बनेंगे। अब बताओ, राजाओं का राजा बनना है या पतित बनना है? यह एक अन्तिम जन्म बाप कहते हैं मेरे ख़ातिर पवित्र बनो। अपवित्र दुनिया का विनाश, पवित्र दुनिया की स्थापना हो जायेगी। आधाकल्प तुमने विष पीते-पीते इतना दु: देखा है, तुम एक जन्म यह नहीं छोड़ सकते हो? अब पुरानी दुनिया का विनाश और नई दुनिया की स्थापना हो रही है। इसमें जो पवित्र बनेंगे और बनायेंगे वही ऊंच पद पायेंगे। यह राजयोग है। तुम कहते हो हम ब्रह्माकुमार-कुमारियां हैं तो बरोबर प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान भी हैं। ब्रह्मा शिव का बच्चा है, तुमको वर्सा देने वाला शिव है। यह इनकारपोरियल गॉड फादरली युनिवर्सिटी है। वह हेविन स्थापन करने वाला, वर्सा देने वाला शिव है। वही गॉड फादर ब्लिसफुल, नॉलेजफुल बाप बैठ पढ़ाते हैं। परन्तु जब देह-अभिमान निकले तब बुद्धि में बैठे। त़कदीर में नहीं है तो फिर धारणा नहीं होती। बरोबर जगत पिता के तुम बच्चे हो। ब्रह्माकुमार-कुमारियां राजयोग सीख रहे हैं। तुम्हारा ही यादगार खड़ा है। कितना अच्छा मन्दिर है! उनका अर्थ तुम बच्चों के सिवाए कोई भी नहीं जानते। पूजा करते, माथा टेकते सब पैसे गँवा दिये। अभी बिल्कुल ही कौड़ी तुल्य बन गये हैं। खाने के लिए अन्न नहीं। अब कहते हैं बच्चे कम पैदा करो। यह कोई मनुष्य की त़ाकत नहीं जो कह सके कि काम महाशत्रु है। यह तो जितना कहेंगे कम पैदा करो उतना ही जास्ती पैदा करेंगे। कोई की ताकत चल नहीं सकती।
 
तुम बच्चों को पहले-पहले यह बात समझानी है कि यह गॉड फादरली युनिवर्सिटी है, भगवान् एक है। यह एक ही चक्र है जो फिरता रहता है। यह समझने की बातें हैं। मित्र-सम्बन्धियों आदि को भी यह रूहानी यात्रा का राज़ समझाना है। जिस्मानी यात्रा तो जन्म-जन्मान्तर की, यह रूहानी यात्रा एक ही बार होती है। सबको वापिस जाना है। कोई भी पतित यहाँ रहना नहीं है। अभी कयामत का समय है। इतने जो करोड़ों मनुष्य हैं, यह सब तो सतयुग में नहीं होंगे, वहाँ बहुत थोड़े होंगे। सबको वापिस जाना है। बाप आये ही हैं ले जाने - जब तक यह नहीं समझते हैं तब तक स्वीट होम और सुखधाम याद पड़ नहीं सकता। याद करना तो बहुत सहज है। बाप कहते हैं स्वीट होम चलो। मेरे सिवाए तुमको कोई ले नहीं जा सकता। मैं ही कालों का काल हूँ। कितना अच्छी रीति समझाते हैं। परन्तु वन्डर है इतने वर्षों से रहते हुए भी धारणा नहीं होती। कोई तो बहुत होशियार हो जाते, कोई कुछ भी नहीं समझते। इसका मतलब यह नहीं कि पुरानों का ही ऐसा हाल है तो हमारा क्या होगा? नहीं, स्कूल में सभी नम्बरवन थोड़ेही होंगे। यहाँ भी नम्बरवार हैं। सबको समझाना है - बेहद के बाप से वर्सा लेने का अभी समय है। 21 जन्म के लिए सदा सुख का वर्सा पाना है। कितने ब्रह्माकुमार-कुमारियां पुरुषार्थ कर रहे हैं। नम्बरवार तो होते ही हैं।
 
तुम जानते हो पतित-पावन एक ही बाप है। बाकी सब हैं पतित। बाप कहते हैं सबका सद्गति दाता एक है, वही स्वर्ग की स्थापना करते हैं। फिर सिर्फ भारत ही रहेगा, बाकी सब विनाश हो जायेंगे। मनुष्यों की बुद्धि में इतनी बात भी नहीं बैठती है। बाप कहते हैं - बच्चे, मेरे मददगार बनो तो मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाऊंगा। हिम्मते मर्दा, मददे खुदा। गाते तो हैं खुदाई खिदमतगार। वास्तव में वह है जिस्मानी सैलवेशन आर्मी। सच्चे-सच्चे रूहानी सैलवेशन आर्मी तुम हो। भारत का बेड़ा जो डूबा हुआ है उनको सैलवेज करने वाली तुम भारत माता शक्ति अवतार हो। तुम गुप्त सेना हो। शिवबाबा गुप्त तो उनकी सेना भी गुप्त। शिव शक्ति, पाण्डव सेना। सच्ची-सच्ची सत्य नारायण की कथा यह है, बाकी सब हैं झूठी कथायें इसलिए कहते हैं सी नो ईविल, हियर नो ईविल, मैं जो समझाता हूँ वह सुनो।
 
यह है बेहद का बड़ा स्कूल। इस युनिवर्सिटी के लिए यह मकान बनाये हैं, पिछाड़ी में यहाँ बच्चे आकर रहेंगे। जो योगयुक्त होंगे वह आकर रहेंगे। इन आंखों से विनाश देखेंगे। जो स्थापना तथा विनाश का साक्षात्कार तुम अभी दिव्य दृष्टि से देखते हो फिर तो तुम स्वर्ग में इन आंखों से बैठे होंगे। इसमें बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए। जितना बाप को याद करेंगे उतना बुद्धि का ताला खुलता जायेगा। अगर विकार में गया तो एकदम ताला बन्द हो जायेगा। स्कूल छोड़ दिया तो फिर ज्ञान बुद्धि से एकदम निकल जायेगा। पतित बना फिर धारणा हो सके। मेहनत है। यह कॉलेज है - विश्व का मालिक बनने लिए। यह ब्रह्माकुमार-कुमारियां शिवबाबा के पोत्रे-पोत्रियां हैं। यह अब भारत को स्वर्ग बना रहे हैं। यह रूहानी सोशल वर्कर्स हैं जो दुनिया को पावन बना रहे हैं। मुख्य है ही प्योरिटी। श्रेष्ठाचारी दुनिया थी, अभी भ्रष्टाचारी है। यह चक्र फिरता रहता है। यह दैवी झाड़ का सैपलिंग लग रहा है जो आहिस्ते-आहिस्ते वृद्धि को पायेगा। अच्छा!
 
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सच्चे-सच्चे रूहानी सैलवेशन आर्मी बन भारत को विकारों से सैलवेज करना है। बाप का मददगार बन रूहानी सोशल सेवा करनी है।
2) एक बाप से ही सत्य बातें सुननी है। हियर नो ईविल, सी नो ईविल........इन आंखों से पिछाड़ी की सीन देखने के लिए योगयुक्त बनना है।
 
वरदान:-सरल संस्कारों द्वारा अच्छे, बुरे की आकर्षण से परे रहने वाले सदा हर्षितमूर्त भव
 
अपने संस्कारों को ऐसा इज़ी (सरल) बनाओ तो हर कार्य करते भी इज़ी रहेंगे। यदि संस्कार टाइट हैं तो सरकमस्टांश भी टाइट हो जाते हैं, सम्बन्ध सम्पर्क वाले भी टाइट व्यवहार करते हैं। टाइट अर्थात् खींचातान में रहने वाले इसलिए सरल संस्कारों द्वारा ड्रामा के हर दृश्य को देखते हुए अच्छे और बुरे की आकर्षण से परे रहो, अच्छाई आकर्षित करे और बुराई - तब हर्षित रह सकेंगे।
 
स्लोगन:-जो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न है वही इच्छा मात्रम् अविद्या है।
 
मातेश्वरी जी के मधुर महावाक्य - ''अजपाजाप अर्थात् निरंतर योग अटूट योग'' 4-2-57
 
जिस समय ओम् शान्ति कहते हैं तो उसका यथार्थ अर्थ है मैं आत्मा उस ज्योति स्वरूप परमात्मा की संतान हैं, हम भी उस पिता ज्योतिर्बिन्दू परमात्मा के मुआफिक आकार वाली हैं। बाकी हम सालिग्राम बच्चे हैं तो हमे अपने ज्योति स्वरूप परमात्मा के साथ योग रखना है, उससे ही योग रखकर लाइट माइट का वर्सा लेना है, तभी तो गीता में स्वयं भगवान के महावाक्य हैं, मनमनाभव। मुझ ज्योति स्वरूप पिता के समान तुम बच्चे भी निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाओ, इसको ही अजपाजाप कहा जाता है। अजपाजाप माना कोई भी मंत्र जपने के सिवाए नेचुरल उस परमात्मा की याद में रहना, इसको ही पूर्ण योग कहते हैं। योग का मतलब है एक ही योगेश्वर परमात्मा की याद में रहना। तो जो आत्मायें उस परमात्मा की याद में रहती हैं, उन्हों को योगी अथवा योगिनियां कहा जाता है। जब उस योग अर्थात् याद में निरंतर रहें तब ही विकर्मों और पापों का बोझ नष्ट हो और आत्मायें पवित्र बनें, जिससे फिर भविष्य जन्म में देवताई प्रालब्ध मिले। अब यह चाहिए नॉलेज तब ही योग पूरा लग सकता है। तो अपने को आत्मा समझ परमात्मा की याद में रहना, यह है सच्चा ज्ञान। इस ज्ञान से ही योग लगता है। अच्छा। ओम् शान्ति।
 
 
08/10/18              Morning Murli  Om Shanti           BapDada              Madhuban
Sweet children, you will be able to stay in constant happiness when you have full faith that it is the versions of God alone that you listen to and that God Himself teaches you.
 
Question:According to the drama, what plans and preparations is everyone making?
Answer:At this time, everyone is making plans to produce so much grain in so many years and make Delhi and Bharat into New Delhi and New Bharat. However, they continue to make preparations for death. The garland of death is around the neck of the whole world. It is said: Human beings want one thing and something else happens. The Father has His own plan and human beings have their own plans.
 
Song:Someone made me belong to Him and taught me how to smile. 
Om Shanti
 
Incorporeal God speaks through the body of Brahma. You should make this first thing firm: it is not a human being teaching you here. Incorporeal God is teaching you. He is always called the Supreme Father, the Supreme Soul, Shiva. In Benares, they have a temple to Shiva. First of all, you souls should have the faith that it is the unlimited Father who is teaching you. Until human beings have this faith, they are of no use; they are worth shells. By knowing the Father, you become worth diamonds. It is the people of Bharat who become worth shells and the people of Bharat who become worth diamonds. The Father comes and changes human beings into deities. Until you have the faith that God is teaching you, it is as though, while sitting in this college, you don't understand anything. That mercury of happiness just doesn't rise. He is our most beloved Father. He is the One people call out to on the path of devotion at a time of sorrow: O Supreme Soul, have mercy! The soul says this. As people have physical fathers they don't understand which father they remember. A soul speaks through his mouth: This is my physical father and that is my parlokik Father. You have now become soul conscious whereas the rest of the human beings are body conscious. They don’t know about souls or the Supreme Soul. No one has the knowledge that we souls are children of the Supreme Father, the Supreme Soul; the Father first of all inspires this faith. God speaks: I teach you Raja Yoga. Forget your body and all bodily relations, have the faith that you are a soul and remember Me, your Father. Neither a human being nor Krishna etc. can say this. This Maya is false, the body is false and the whole world is false. Not a single one is true or honest. There isn't a single false being in the land of truth. Lakshmi and Narayan were the masters of the land of truth; they were worthy of worship. The people of Bharat have now become corrupt in their religion and corrupt in their actions. This is why it is called corrupt Bharat. Elevated Bharat exists in the golden age. Everyone there always smiles; they are never ill or diseased. Here, although they say that so-and-so went to heaven, no one knows anything. The kingdom of this time is like a mirage. There is the story of a deer: it thought there was water there but when it tried to enter the ‘lake’ it became trapped in quicksand. The kingdom of this time is like a bog. The more they decorate it, the more degraded it becomes. They continue to say that there will be a lot of grain in Bharat, that there will be this etc., but nothing happens. This is referred to as: human beings want one thing and something else happens. The Father says: This is no kingdom. A kingdom is where there is a king and queen. This is the rule of people over people. It is an irreligious, unrighteous kingdom. In Bharat, there used to be the kingdom of the original, eternal deities. They have now become corrupt in their religion and corrupt in their actions. There is no other country like this where they don't know their own religion. It is said: Religion is might. There used to be the kingdom of deities over the whole world. They are now completely poverty-stricken. They receive so much aid from outside. They have the aid of physical power whereas you have the aid of the power of yoga. You children know that the Father is the most beloved from whom you receive the inheritance of constant happiness for 21 births. There, there is never any mention of sorrow or crying etc. Neither is there untimely death, nor do they give birth to four or five children at the same time as they do nowadays. They don't have anything to eat and so they ask for there to be birth control. Human beings want one thing and something else happens. They think that there is to be New Delhi and a new kingdom. However, there is nothing like that. Death is around everyone's neck. They are making full preparations for death. This is truly the same Mahabharat War that there was 5000 years ago. The Father says: This is not a kingdom. This is like a mirage. There is also the example of Draupadi. All of you are Draupadis. You have the Father's orders to conquer those vices. We promise that we will always remain pure and make Bharat pure. Those men do not allow us to remain pure. Some incognito gopikas call out so much: They beat us. You know that lust, the great enemy, causes sorrow for human beings from its beginning through the middle to the end. The Father says: You have to conquer this. In the Gita, too, it says: God speaks; Lust is the great enemy. However, people don't understand this. The Father says: Become pure and you will become the kings of kings. Now, tell Me: Do you want to become the kings of kings or do you want to become impure? In this final birth, the Father says: Become pure for My sake. The impure world will be destroyed and the pure world established. For half the cycle, you have experienced so much sorrow by drinking poison. Can you not renounce it for one birth? The old world is now to be destroyed and the new world established. In this, only those who become pure and make others pure will claim a high status. This is Raja Yoga. You say that you are Brahma Kumars and Kumaris. Therefore, you are definitely the children of Prajapita Brahma. Brahma is the child of Shiva; it is Shiva who will give you your inheritance. This is the incorporeal Godfatherly University. It is Shiva who establishes heaven and gives you your inheritance. That God, the Father, the blissful and knowledge-full Father, sits here and teaches you. However, this can only sit in your intellect when your body consciousness is removed. When it is not in their fortune, they are unable to imbibe. You are truly the children of Jagadpita (the world father). You Brahma Kumars and Kumaris are studying Raja Yoga. Your memorial is also here. It is such a good temple. No one, apart from you children, knows its meaning. They wasted all their money while worshipping and bowing their heads. They have now totally become worth shells. They don't have any grain to eat. They also say: Now, don't have so many children. It is not in the power of human beings to say that lust is the great enemy. The more they are told to have fewer children, the more children they will have! No one has the power to do anything about this. You children first of all have to explain that this is a Godfatherly University. God is One. This is the only cycle that continues to turn. These matters have to be understood. The secrets of this spiritual pilgrimage also have to be explained to your friends and relatives. You have been on physical pilgrimages for birth after birth. This spiritual pilgrimage only takes place once. Everyone has to return home. No impure beings will remain here. It is now the time of settlement. Not all of these millions of people will exist in the golden age; there will be very few people there. Everyone has to return home; the Father has come to take you back. Until you understand this, you won't remember the sweet home or the land of happiness. It is very easy to remember them. The Father says: Come to the sweet home. No one, apart from Me, can take you there. I alone am the Death of all Deaths. He explains so clearly. However, it is a wonder that, even after being here for so many years, they are unable to imbibe. Some become very clever whereas others don't understand anything at all. This doesn't mean that if this is the state of the older ones, then what is going to happen to you? No; not everyone in a school can be number one. It is also numberwise here. You have to explain to everyone that it is now the time to claim your inheritance from the unlimited Father. You have to claim your inheritance of constant happiness for 21 births. So many Brahma Kumars and Kumaris are making effort; it is numberwise. You know that the Purifier is the one Father and that all the rest are impure. The Father says: The Bestower of Salvation for all is One. He is the One who establishes heaven. Then, only Bharat will remain and everything else will have been destroyed. Even this much doesn't sit in people's intellects. The Father says: Children, become My helpers and I will make you into the masters of heaven. When children have courage, the Father helps. It is remembered: There are the helpers of God. In fact, that is the physical Salvation Army. You are the true, spiritual, Salvation Army. You mothers of Bharat, incarnations of Shakti, are the ones who truly salvage the sinking boat of Bharat. You are an incognito army. Shiv Baba is incognito and His army is also incognito. There is the Shiv Shakti Pandava Army. This is the true story of true Narayan and all the rest are false stories. This is why it is said: See no evil, hear no evil. Only listen to the things I tell you. This is a big and unlimited school. These buildings have been built for this university. At the end, many children will come and stay here. Those who are yogyukt will come and stay here. They will see destruction with their physical eyes. You, who now see establishment and destruction through divine vision, will then be sitting in heaven with those eyes. A very broad and unlimited intellect is needed for this. The more you remember the Father, the more the locks on your intellects will continue to open. If you indulge in vice, the lock will become completely locked. If you leave school, the knowledge will be completely removed from your intellect. When you become impure, you cannot imbibe anything. Effort is required. This is the college for becoming the masters of the world. You Brahma Kumars and Kumaris are the grandsons and granddaughters of Shiv Baba. You are all making Bharat into heaven. You are the spiritual social workers who are making the world pure. The main thing is purity. There was the elevated world and it is now corrupt. This cycle continues to turn. The sapling of the divine tree is now being planted and it will gradually continue to grow. Achcha.
 
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
 
Essence for Dharna:
1. You have to become the true, spiritual Salvation Army and salvage Bharat from the vices. Become the Father's helpers and do spiritual social service.
2. Listen to the truth from only the one Father. Hear no evil, see no evil. In order to see the final scenes with your physical eyes, become yogyukt.
 
Blessing:May you always be cheerful and remain beyond good and bad attractions with your sanskars of easiness.
 
Let your sanskars be so easy that you remain easy while carrying out any task. If your sanskars are tight, then the circumstances would also be tight. Then, those who have a connection or relationship with you will be tight in their interaction with you. Tight means to be caught up in a tug of war and so, while observing every scene of the drama, stay beyond any attraction of good and bad with your sanskars of easiness. When neither goodness nor anything bad attracts you, you will then be able to remain cheerful.
 

Slogan:Those who are full of all attainments are ignorant of the knowledge of desire.

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