Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Nov - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Nov-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 12-Nov-2018 )
12-11-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - ज्ञान की बुलबुल बन सारा दिन ज्ञान की टिकलू-टिकलू करते रहो तो लौकिक और पारलौकिक मात-पिता का शो कर सकेंगे''

 

प्रश्नः-कहावत है - "अपनी घोट तो नशा चढ़े'' इसका भावार्थ क्या है?

उत्तर:-

अपनी घोटना अर्थात् बुद्धियोग इधर-उधर भटकाकर एक बाप को याद करना। एक बाप बुद्धि में याद रहे तो नशा चढ़े। परन्तु इसमें देह-अभिमान बहुत विघ्न डालता है। थोड़ी-सी बीमारी हुई तो परेशान हो जाते हैं, मित्र-सम्बन्धी याद पड़ते हैं, इसलिए नशा नहीं चढ़ता। योग में रहें तो दर्द भी कम हो जाए।

 

गीत:-तूने रात गंवाई सोके........ 

 

ओम् शान्ति।

 

यह सब बातें शास्त्रों में भी लिखी हुई हैं। एक-दो को समझाते भी हैं। अनेक प्रकार की मतें गुरू लोग देते हैं। बहुत अच्छे-अच्छे भक्त कोठरी में बैठ, एक गउमुख कपड़ा होता है, उसमें अन्दर हाथ डाल माला फेरते हैं। यह भी सिखलाया हुआ फैशन है। अब बाप कहते हैं - यह सब छोड़ो। आत्मा को तो सिमरण करना है बाप का। इसमें माला सिमरने की बात नहीं। सबसे अच्छा गीत है शिवाए नम: का। इसमें ही समझाया जाता है तुम मात-पिता हो। भगवान् को ही रचता बाप कहते हैं। अब रचता कहा जाता है तो क्या क्रियेट करते हैं? जरूर यह तो सब समझते हैं नई दुनिया ही रचेंगे। गाते भी हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे.... तो पहला - ईश्वर सबका फादर ठहरा। फादर है तो मदर भी जरूर चाहिए। मदर के सिवाए क्रियेट कर सकें। सिर्फ यह कोई नहीं जानते कि क्रियेट कैसे करते हैं? दूसरा - आपस में सब भाई-बहन हो गये। फिर विकार की दृष्टि जा सके। एक मात-पिता है ना। तो यह प्वाइन्ट् बहुत अच्छी है समझने और समझाने के लिए। तीसरा - जरूर बाप ने सृष्टि रची होगी। हम बालक थे अब फिर बने हैं। 84 जन्मों का चक्र पूरा होने के बाद फिर अब मात-पिता के बने हैं। जिसका ही भक्ति मार्ग में गायन चलता है। मात-पिता सृष्टि रचते हैं, उनके बालक बनते हैं तो जरूर सुख घनेरे देते होंगे। यह कोई भी नहीं जानते कि परमात्मा मात-पिता भी बनते हैं। टीचर भी है, सतगुरू भी है।

 

हम ब्रह्मा की औलाद आपस में भाई-बहन ठहरे। कहलाते भी हैं ब्रह्माकुमार-कुमारियां, उनको भी रचने वाला वह है। सुख घनेरे पाने के लिए मात-पिता से राजयोग सीख रहे हैं। सुख घनेरे तब मिलते हैं जबकि हम दु: में हैं, ऐसे नहीं कि भविष्य सुख में आकर शिक्षा देंगे। जब हम दु: में हैं तब शिक्षा मिलती है सुख में जाने की। वही मात-पिता आकर सुख देते हैं। एडम और ईव तो मशहूर हैं। वह भी जरूर गॉड की सन्तान ठहरे। तो गॉड फिर कौन?

 

बच्चे यह तो जानते हैं कि बाप जो नॉलेज देते हैं यह सब धर्म वालों के लिए है। सारी दुनिया का उस बाप से बुद्धियोग टूटा हुआ है। माया घोस्ट बुद्धियोग लगाने नहीं देती है और ही बुद्धियोग तोड़ती है। बाप आकर घोस्ट पर जीत पहनाते हैं। आजकल दुनिया में रिद्धि-सिद्धि वाले भी बहुत हैं। यह है ही घोस्टों की दुनिया। काम विकार रूपी घोस्ट एक-दो को आदि, मध्य, अन्त दु: देते हैं। एक-दो को दु: देना घोस्ट का काम है। सतयुग में घोस्ट होता नहीं। तो यह भी समझाया है घोस्ट नाम बाइबिल में है। रावण माना घोस्ट, यह है ही घोस्ट का राज्य। सतयुग रामराज्य में घोस्ट होता नहीं। वहाँ सुख घनेरे होते हैं।

 

ओम् नमो शिवाए का गीत बहुत अच्छा है। शिव है मात-पिता। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को मात-पिता नहीं कहेंगे। शिव को ही फादर कहेंगे। एडम-ईव अर्थात् ब्रह्मा-सरस्वती यहाँ हुए हैं। वहाँ क्रिश्चियन लोग गॉड फादर से प्रार्थना करते हैं। यह भारत तो मात-पिता का गांव है। उनका जन्म ही यहाँ है। तो समझाना है तुम मात-पिता गाते हो तो आपस में भाई-बहन ठहरे ना। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं। वह तो एडाप्ट करते हैं। सरस्वती भी एडाप्ट हुई है। प्रजापिता ब्रह्मा ने एडाप्ट किया है, तब तो इतने ब्रह्माकुमार-कुमारियां बने हैं। शिवबाबा एडाप्ट कराते जाते हैं। नई सृष्टि ब्रह्मा द्वारा ही रची जाती है। समझाने की बहुत युक्तियाँ हैं। परन्तु पूरा समझाते नहीं हैं। बाबा ने बहुत बार समझाया है - यह शिवाए नम: का गीत जहाँ-तहाँ बजाओ। हम मात-पिता के बालक कैसे हैं? वह बैठ समझाते हैं। ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि स्थापन की थी। अब कलियुग का अन्त है फिर से सतयुग स्थापन कर रहे हैं। बुद्धि में धारणा करनी है। नॉलेज बड़ी सहज है। माया के तूफान ज्ञान-योग में ठहरने नहीं देते हैं। बुद्धि चािढत हो जाती है। हमेशा समझाना चाहिए भगवान् रचता तो सबका एक है, फादर तो सब कहेंगे ना। वह निराकार तो जन्म-मरण रहित है। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को सूक्ष्म चोला है। मनुष्य 84 जन्म यहाँ ही लेते हैं, सूक्ष्मवतन में तो नहीं लेते। तुम जानते हो हम मात-पिता के बालक हैं। हम हैं नये बच्चे। बाप ने एडाप्ट किया है। जब प्रजापिता ब्रह्मा है तो कितनी प्रजा होगी? जरूर एडाप्ट किया होगा। ब्रह्मा को भुजायें बहुत दिखाते हैं, अर्थ तो कुछ भी समझते नहीं। जो भी चित्र निकले हैं अथवा शास्त्र निकले हैं - यह सब ड्रामा के ऊपर आधार रखना पड़ता है। ब्रह्मा का दिन था फिर भक्ति मार्ग शुरू हुआ है, वह चला रहा है। यह राजयोग बाप ही आकर सिखलाते हैं। यह स्मृति में रहना चाहिए।

 

कहते हैं ना - अपनी घोट तो नशा रहे। परन्तु बुद्धियोग बाप के साथ चाहिए। यहाँ तो बहुतों का बुद्धियोग भटकता रहता है। पुरानी दुनिया के मित्र-सम्बन्धी आदि के तरफ या देह-अभिमान में फँसे रहते हैं। थोड़ी बीमारी होती है, परेशान हो जाते हैं। अरे, योग में रहेंगे तो दर्द आदि भी कम होगा। योग नहीं तो बीमारी आदि कैसे छूटे? ख्याल करना चाहिए - मात-पिता जो नम्बरवन पावन बनते हैं वही फिर सबसे जास्ती नीचे उतरते हैं। उनको तो बहुत भोगना भोगनी पड़े। परन्तु योग में रहने के कारण बीमारी हटती जाती है। नहीं तो इनको सबसे जास्ती भोगना चाहिए। परन्तु योगबल से दु: दूर होते हैं और बहुत खुशी में रहते हैं - बाबा से हम स्वर्ग के सुख घनेरे लेते हैं। बहुत बच्चे अपने को आत्मा समझते नहीं। सारा दिन देह का ही ध्यान है।

 

बाबा आकर ज्ञान की टिकलू-टिकलू सिखलाते हैं। तो तुम्हें ज्ञान की बुलबुल बनना है। बाहर में बहुत अच्छी छोटी-छोटी बच्चियाँ हैं, ज्ञान की टिकलू-टिकलू करती हैं। भीष्म पितामह आदि को भी कुमारियों के द्वारा ज्ञान दिया है। छोटे-छोटे बच्चों को खड़ा करना है। छोटे बच्चे लौकिक-पारलौकिक मात-पिता का शो करते हैं। लोक-परलोक सुहैला होता है ना। तो लौकिक मात-पिता को भी उठाना पड़े। यह भी तुम देखेंगे छोटी-छोटी बच्चियाँ माँ-बाप को उठायेंगी। कुमारी का मान होता है। कुमारी को सब नमन करते हैं। शिव शक्ति सेना में सब कुमारियाँ हैं। भल मातायें हैं परन्तु वह भी कहलाती तो कुमारी हैं ना। कुमारियाँ बड़ी अच्छी-अच्छी निकलेंगी। छोटी-छोटी बच्चियाँ ही बड़ा शो करेंगी। कोई-कोई छोटी बच्चियाँ बड़ी अच्छी हैं। परन्तु कोई-कोई में मोह भी बहुत है ना। यह मोह बड़ा खराब है। यह भी एक भूत है, बाप से बेमुख कर देता हैं। घोस्ट माया का धन्धा ही है परमपिता परमात्मा से बेमुख करना।

 

यह ओम नमो शिवाए वाला गीत सबसे अच्छा है। इनसे ही अक्षर मिलते हैं तुम मात-पिता........ अक्सर करके राधे-कृष्ण के मन्दिर में जोड़ा ही दिखाते हैं। गीता में कृष्ण के साथ राधे का नाम है ही नहीं। कृष्ण की महिमा अलग है - सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण........, शिव की महिमा अलग है। शिव की आरती पर कितनी महिमा गाते हैं। अर्थ कुछ भी नहीं समझते। पूजा करते-करते थक गये हैं। तुम जानते हो मम्मा-बाबा और हम ब्राह्मण सबसे जास्ती पुजारी बने हैं। अभी फिर आकर ब्राह्मण बने हैं। उनमें भी नम्बरवार हैं। कर्म भोग भी होता है, उनको तो योग से मिटाना है। देह-अभिमान को तोड़ना है। बाप को याद कर बहुत खुशी में रहना है। मात-पिता से हमको बहुत सुख घनेरे मिलते हैं। यह ब्रह्मा कहेंगे ना - बाबा से हमें वर्सा मिलता है। बाबा ने हमारा रथ लोन लिया है। अब बाबा तो इस रथ की ख़ातिरी करेंगे। पहले तो समझता था - मैं आत्मा इस रथ को खिलाता हूँ। यह भी रथ है ना। अब कहेंगे इनको वही खिलाने वाला है। इस रथ की सम्भाल करनी है। घोड़े पर साहेब लोग चढ़ते हैं तो घोड़े को हाथ से खिलायेंगे, कभी पीठ पर हाथ फेरेंगे। बहुत ख़ातिरी करते हैं क्योंकि उन पर सवारी करते हैं। बाबा इस पर सवारी करते हैं तो क्या बाबा ख़ातिरी नहीं करते होंगे? बाबा जब स्नान करते हैं तो समझते हैं हम भी स्नान करते हैं, बाबा को भी कराना है क्योंकि उसने भी इस रथ का लोन लिया है। शिवबाबा कहते हैं मैं भी तुम्हारे शरीर को स्नान कराता हूँ, खिलाता हूँ। मैं नहीं खाता हूँ, शरीर को खिलाता हूँ। बाबा खिलाते हैं, खाते नहीं हैं। यह सब किस्म-किस्म के ख्यालात चलते हैं - स्नान के समय, घूमने के समय। यह तो अनुभव की बात है ना। बाबा खुद ही कहते हैं - बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में प्रवेश करता हूँ। यह अपने जन्मों को नहीं जानते हैं, मैं जानता हूँ। तुम कहते हो बाबा फिर हमको ज्ञान दे रहे हैं। वर्सा लेना है स्वर्ग का। सतयुग में तो राजा, प्रजा आदि सब हैं। पुरुषार्थ करना है बाप से पूरा वर्सा लेने का। अब नहीं लेंगे तो कल्प-कल्प मिस करते रहेंगे, इतना ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। जन्म-जन्मान्तर की बाजी है तो कितना श्रीमत पर चलना चाहिए! कल्प-कल्प निमित्त बनेंगे। कल्प-कल्प वर्सा लेते आये हैं। कल्प-कल्प के लिए यह पढ़ाई है। इसमें बहुत ध्यान देना पड़ता है। 7 रोज लक्ष्य लेकर फिर मुरली तो घर में भी पढ़ सकते हैं। बिल्कुल सहज कर देते हैं। ड्रामा तो बुद्धि में रहना चाहिए ना।

 

इसको वर्ल्ड युनिवर्सिटी कहा जाता है। तो कहाँ भी अमेरिका आदि तरफ चले जाओ, बाप से वर्सा ले सकते हो। सिर्फ एक हफ्ता धारणा करके जाओ। भगवान् के बच्चे हैं तो भाई-बहन ठहरे ना। प्रजापिता ब्रह्मा है तो उनके सब बच्चे आपस में भाई-बहन ठहरे। जरूर गृहस्थ व्यवहार में रहते आपस में भाई-बहन होकर रहेंगे तो पवित्र हो रह सकेंगे। बहुत सहज है। अच्छा!

 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) स्वंय को माया घोस्ट से बचाने के लिए ज्ञान-योग में तत्पर रहना है। मोह रूपी भूत का त्याग कर बाप का शो करना है। ज्ञान की टिकलू-टिकलू करनी है।

2) पढ़ाई पर पूरा ध्यान देकर बाप से वर्सा लेना है। कल्प-कल्प की इस बाजी को किसी भी हालत में गंवाना नहीं है।

 

वरदान:-कर्मयोग की स्टेज द्वारा कर्मभोग पर विजय प्राप्त करने वाले विजयी रत्न भव

 

कर्मयोगी बनने से शरीर का कोई भी कर्मभोग भोगना का अनुभव नहीं कराता है। मन में कोई रोग होगा तो रोगी कहा जायेगा, अगर मन निरोगी है तो सदा तन्दुरूस्त हैं। सिर्फ शेश शैया पर विष्णु के समान ज्ञान का सिमरण कर हर्षित होते, मनन शक्ति द्वारा और ही सागर के तले में जाने का चांस मिलता है। ऐसे कर्मयोगी ही कर्मभोग पर विजय प्राप्त कर विजयी रत्न बनते हैं।

 

स्लोगन:-साहस को साथी बना लो तो हर कर्म में सफलता मिलती रहेगी।

 

मातेश्वरी जी के मधुर महावाक्य

"मनुष्यात्माओं की परमात्मा से मांगनी और प्राप्ति''

 

तुम मात-पिता हम बालक तेरे तुम्हरी कृपा से सुख घनेरे... अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है? अवश्य परमात्मा के लिये गायन है क्योंकि परमात्मा खुद माता पिता रूप में आए इस सृष्टि को अपार सुख देता है। जरूर परमात्मा ने कब सुख की सृष्टि बनाई है तभी तो उनको माता पिता कहकर बुलाते हैं। परन्तु मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि सुख क्या चीज़ है? जब इस सृष्टि पर अपार सुख थे तब सृष्टि पर शान्ति थी, परन्तु अब वो सुख नहीं हैं। अब मनुष्य को यह चाहना उठती अवश्य है कि वो सुख हमें चाहिए, फिर कोई धन पदार्थ मांगते हैं, कोई बच्चे मांगते हैं, कोई तो फिर ऐसे भी मांगते हैं कि हम पतिव्रता नारी बनें, सदा सुहागिन बनें, चाहना तो सुख की ही रहती है ना। तो परमात्मा भी कोई समय उन्हों की आश अवश्य पूर्ण करेंगे। तो सतयुग के समय जब सृष्टि पर स्वर्ग है तो वहाँ सदा सुख है, जहाँ स्त्री कभी दुहागिन (विधवा) नहीं बनती, तो वो आश सतयुग में पूर्ण होती है जहाँ अपार सुख है। बाकी तो इस समय है ही कलियुग। इस समय तो मनुष्य दु: ही दु: भोगते हैं। अच्छा।

 

 

12/11/18 Morning Murli               Om Shanti           BapDada              Madhuban

Sweet children, become nightingales of knowledge and continue to chirp knowledge throughout the day and you will be able to show (reveal) your physical and spiritual mothers and fathers.

 

Question:It is said: Grind your own ingredients and your intoxication will rise. What is the meaning of this?

 

Answer:

 

To grind your own ingredients means not to let your intellect’s yoga wander here and there, but to remember the one Father. If only the one Father remains in your intellect, your intoxication can rise. However, body consciousness causes a lot of obstacles in this. When some are even a little ill, they become distressed. They begin to remember their friends and relatives and this is why their intoxication doesn’t rise. If they were to stay in yoga, their pain would lessen.

 

Song:You wasted the night in sleeping and the day in eating. 

 

Om Shanti

 

All of these things are also written in the scriptures. They even explain them to one another. Gurus give many types of direction. Many very good devotees sit in a little room with their hand in a little cloth bag, which they call a gaumukh and turn the beads of a rosary. That too is a fashion they have been taught. The Father now says: Renounce all of that. The soul has to remember his Father. There is no question of turning the beads of a rosary in this. The best song is: Salutations to Shiva. It is only in this song that they have said: You are the Mother and Father. God alone is called the Father, the Creator. Since He is called the Creator, what does He create? Surely, everyone understands that He would only create the new world. People also sing: You are the Mother and Father and we are Your children. So, first of all, God is the Father of all. Since there is the Father, the Mother is also needed. He cannot create without the Mother. It is just that people don’t know how He creates. Secondly, we all are brothers and sisters. So, then, there cannot be any vision of vice. There is the one Mother and Father. So, these points are very good to understand and then explain. Thirdly, the Father must definitely have created the world. We were His children and we have now become that once again. After completing the cycle of 84 births, we now belong to the Mother and Father, whom the people on the path of devotion remember. The Mother and Father create the world, we become His children and so He must definitely give us a lot of happiness. No one knows that God becomes the Mother and Father. He is also the Teacher and also the Satguru. We children of Brahma are brothers and sisters among ourselves. We are called Brahma Kumars and Kumaris. He is also the One who creates us. We are studying Raja Yoga from the Mother and Father in order to receive a lot of happiness. Only when we are in sorrow can we receive a lot of happiness. It is not that He will come here in the future, when we are happy, to give us these teachings. It is when we are in sorrow that we receive the teachings for going into happiness. That Mother and Father comes and gives us happiness. Adam and Eve are very well known. They too are definitely the children of God. So, who then is God? You children know that the knowledge the Father gives is for those of all religions. The intellect’s yoga of the whole world has broken away from that Father. Maya, the ghost, doesn’t allow you to connect your intellect’s yoga. Instead, she breaks the intellect’s yoga away even more. The Father comes and enables you to conquer the ghost. Nowadays, there are many people in the world with occult powers. This is the world of ghosts. The ghost of the vice of lust makes you cause sorrow for one another from its beginning, through the middle to the end. It is the work of a ghost to make you cause sorrow for one another. Ghosts don’t exist in the golden age. It has been explained that a ghost is also mentioned in the Bible. Ravan means the ghost. This is the kingdom of ghosts. There are no ghosts in the golden age, the kingdom of Rama. There is a lot of happiness there. The song “Salutations to Shiva” is very good. Shiva is the Mother and Father. Brahma, Vishnu and Shankar cannot be called the Mother and Father. Shiva would still be called the Father. Adam and Eve, that is, Brahma and Saraswati, are here. There, the Christians pray to God, the Father. This Bharat is the land of the Mother and Father. His birth takes place here. So you have to explain: Since you remember the Mother and Father, we are brothers and sisters. He creates creation through Prajapita Brahma. He adopts them. Saraswati is also adopted. Prajapita Brahma has adopted us and this is how so many have become Brahma Kumars and Kumaris. Shiv Baba continues to have us adopted. Only through Brahma is the new world created. There are many methods with which to explain, but you don’t explain fully. Baba has told you many times: Play the song “Salutations to Shiva” everywhere. How are we the children of the Mother and Father? The Father sits here and explains this. The new world was established through Brahma. It is now the end of the iron age and we are establishing the golden age once again. This has to be imbibed by the intellect. Knowledge is very easy. Storms of Maya do not allow you to stay in knowledge and yoga. The intellect is amazed. You should always explain: God, the Creator of all, is One. Everyone would call Him the Father, would they not? That incorporeal One is beyond birth and death. Brahma, Vishnu and Shankar have subtle costumes. It is here that people take 84 births; they don’t take them in the subtle region. You know that we are the children of the Mother and Father. We are new children. The Father has adopted us. Since he is Prajapita, the Father of the People, there would be so many people! He must surely have adopted them. They portray Brahma with many arms, but they don’t understand the meaning of that. All the images and scriptures that have emerged have to be based on the drama. It was the day of Brahma and then the path of devotion began. That has been continuing. Only the Father comes and teaches us this Raja Yoga. This should remain in your intellects. It is said: Grind your own ingredients and your intoxication will rise. However, your intellect’s yoga has to be connected to the Father. Here, the intellect’s yoga of many wanders; they remain trapped in the friends and relatives of the old world or in body consciousness. When they become even slightly ill, they become greatly distressed. Oh! but if you were to stay in yoga, your pain would decrease. If there is no yoga, how can you become free from illness etc? You should think about it: The mother and father who become the number one pure souls are the ones who come down the furthest. They have to go through a lot of settling of karma. However, because of staying in yoga, their illnesses continue to be removed. Otherwise, they would have had to have the maximum suffering of karma. However, their suffering is removed with the power of yoga, and they have a lot of happiness: We are receiving a lot of happiness of heaven from Baba. Many children don’t consider themselves to be souls. Throughout the day, they only think about their bodies. Baba comes and teaches you how to chirp knowledge. So you have to become nightingales of knowledge. Outside, there are many very good, very young daughters who continue to chirp this knowledge. It was through the kumaris that Bhishampitamai was given knowledge. The little children have to be made to become alert and active. Little children show (reveal) their physical mothers and fathers and the spiritual Mother and Father. Then, both this world and that world are glorified. So the physical mothers and fathers also have to be uplifted. You will see how little daughters uplift their mothers and fathers. Kumaris are given respect. Everyone bows down to kumaris. In the Shiv Shakti Army, all are kumaris. Although some are mothers, they are still called kumaris. Very good kumaris will emerge. It is the young daughters who will show everyone. Some young daughters are very good but some also have a lot of attachment. This attachment is very bad. This too is an evil spirit that turns you away from the Father. It is the business of Maya, the ghost, to turn you away from the Supreme Father, the Supreme Soul. This song “Salutations to Shiva” is the best song of all. It is in this that they say: You are the Mother and Father. Generally, in the Radhe and Krishna Temple, they show the form of a couple. There is no mention in the Gita of Radhe together with Krishna. The praise of Krishna is separate: Full of all virtues, sixteen celestial degrees full… The praise of Shiva is different. When people sing an arti (form of worship with a steel plate (thali) with a lamp on it) to Shiva, they sing so much praise, but they don’t understand the meaning of it at all. They have become tired by worshipping all the time. You know that Mama, Baba and you Brahmins are the ones who have done the most worship. You have now come and become Brahmins. It is numberwise in this too. There is also the suffering of karma which has to be settled through yoga. You have to break your body consciousness. You have to remember the Father and stay in a lot of happiness. We receive a lot of happiness from the Mother and Father. This Brahma says: I receive the inheritance from Baba. Baba has taken my chariot on loan. So Baba would offer special hospitality to this chariot. Previously, I used to think: I, the soul, am feeding this chariot. This is also a chariot. Now it would be said: That One is the One who feeds this one. This chariot has to be looked after. After a lord sits on a horse, he would also feed it with his own hands. Sometimes, he would rub its back. They look after them well because they ride them. Baba rides this one and so, would Baba not offer him that special hospitality? When Baba bathes, he thinks: I am bathing and I also have to give a bath to Baba because He has taken this chariot on loan. Shiv Baba says: I also give a bath and feed your body. I don’t eat but I do feed the body. Baba feeds it, but He Himself doesn’t eat. Baba has all of these different thoughts at the time of bathing and while walking around. This is something of his experience. Baba Himself says: I enter this one at the end of his many births. This one doesn’t know about his births; I know them. You say that Baba is once again giving you knowledge. You have to claim your inheritance of heaven. In the golden age there are kings and also subjects. You have to make effort to claim your full inheritance from the Father. If you don’t claim it now you, will miss it every cycle. You won’t be able to claim such a high status. It is a deal for birth after birth. Therefore, you have to follow shrimat so much! You will become instruments every cycle. You have been receiving your inheritance every cycle. This study is for cycle after cycle. You have to pay a lot of attention to this. You can keep the aim for seven days and then also study the murli at home. It is made very easy for you. The drama should remain in your intellects. This is called The World University, so if you go anywhere, even to America, you can claim your inheritance from the Father. You simply just have to imbibe this for a week. You are the children of God and so you are brothers and sisters. There is Prajapita Brahma and so all of his children are brothers and sisters. When you live at home with your family as brothers and sisters, you would surely remain pure. It is very easy. Achcha.

 

To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.

 

Essence for Dharna:

1.            In order to save yourself from Maya, the ghost, remain engaged in knowledge and yoga. Renounce the evil spirit of attachment and show the Father. Chirp knowledge.

2.            Pay full attention to the study and claim your inheritance from the Father. Under no circumstances should you lose this chance every cycle.

 

Blessing:May you become a victorious jewel who gains victory over the suffering of karma with the stage of a karma yogi.

 [font=Calibri]When you become a karma yogi, any suffering of karma through the body is not experienced as suffering. If some has an illness in the mind, that person would be said to be ill. However, if your mind is free from any form of illness, you are then constantly healthy. Simply lie down on the bed of the snake like Vishnu and churn knowledge and remain cheerful. With churning power, you will have the chance of diving even deeper into the ocean. Only such karma yogis are able to gain victory over the suffering of karma and become victorious jewels.[/font]

Slogan:Make courage your companion and you will achieve success in every deed.

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