Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 28-Aug- 2018 )
28-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - अभी तुम कौड़ी से हीरे जैसा बने हो, ईश्वर की गोद पाना ही हीरे जैसा बनना है, श्रीमत तुम्हें हीरे जैसा बना देती है"
 
प्रश्नः-
 
सतयुग में किसी को तो ताउसी-तख्त (बादशाही) और किसी को दास-दासी या प्रजा पद मिलता है, इसका कारण क्या है?
 
उत्तर:-
 
सतयुग में ताउसी तख्त उन्हें मिलता जो संगम पर ज्ञान सागर की पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़ते हैं और धारण करते हैं, ज्ञान रत्नों का दान कर बहुतों को आप समान बनाते हैं और जो ग़फलत करते, देह-अभिमान में आकर हंगामें मचाते, उन्हें प्रजा पद मिल जाता है। पढ़ाई पर ध्यान देने वाले ही दास-दासी बन जाते हैं।
 
ओम् शान्ति।
 
कौड़ी से हीरे जैसा बनने वाले सिकीलधे, पुरुषार्थी बच्चे यह जानते हैं कि माया का तूफान लगता है। बच्चे कौड़ी से हीरे जैसा बनने का पुरुषार्थ करते हैं, परन्तु श्रीमत पर चलने के कारण फिर से माया का तूफान लगने से ज्योत बुझ जाती है। इस पर भी गीत है। बच्चों को अब मालूम पड़ा है कि हम सो पूज्य देवी-देवता थे। यह आत्मा सुनती है बेहद के मोस्ट बिलवेड बाप द्वारा। उनकी यह महिमा गाई जाती है। वह ऊंच ते ऊंच भगवान् है। सारी सृष्टि में उनको ही याद करते हैं क्योंकि इस दुनिया में तो बरोबर दु: ही दु: है। ऐसा मत समझो कि सब मनुष्य बेसमझ हैं। समझते भी हैं कि प्राचीन भारत बहुत ऊंच था और सभी खण्ड अथवा धर्म थे नहीं इसलिए भारत को प्राचीन कहते हैं। इतना समझते हैं परन्तु वह कैसे हुआ, कब हुआ? भारत फिर हीरे जैसा कब और कैसे बनेगा - यह नहीं जानते। अभी तुम बच्चे सम्मुख बैठे हो और जो परदेश अर्थात् बाहर सेन्टर पर रहते हैं, वह भी सुनते हैं। हीरे जैसा बनाने वाला बेहद का बाप कहते हैं - यह तुम्हारा अन्तिम ईश्वरीय जन्म है जबकि भगवान् बैठ हीरे जैसा बनाने लिए तुमको पढ़ाते हैं, तो ऐसे बाप का कितना रिगार्ड रखना है। सत बाप, सत टीचर, सतगुरू का रिगार्ड रखा जाता है। बाप कहते हैं बच्चों को सुख देने वाला मैं ही हूँ। इस समय तुम बच्चों को सुख देने के लिए आकर अपनी मत देता हूँ। भगवान् ने जो श्रीमत दी थी वह फिर मनुष्यों ने गीता में लिखा है, परन्तु यथार्थ नहीं। अब यह तुमको ऊंच ते ऊंच हीरे जैसा बनाते हैं। स्वर्ग में तो तुम ही सकते हो ना। यूँ तो सारी दुनिया की आत्मायें बच्चे हैं बाप के। प्रजापिता ब्रह्मा तो है ना। इस समय शिवबाबा के पोत्रे कहलाते हो। फिर पर-पोत्रे, तर-पोत्रे भी कहलाते हो। वृद्धि तो होती जाती है ना। वास्तव में सभी का रचयिता मैं बाप ही हूँ। पूछते हैं ना कि तुमको किसने पैदा किया? तो कहते हैं अल्लाह वा खुदा ने। इतना समझते हैं परन्तु कैसे पैदा करते हैं, कैसे इतना सब वृद्धि को पाते हैं - यह कुछ भी पता नहीं है। यह तो तुम जानते हो कि सतयुग में बहुत थोड़ी रचना होती है। जरूर रचयिता भी होगा जो नई दुनिया रचते हैं। नई दुनिया में देवी-देवता पद प्राप्त कराते हैं तो जरूर पुरानी दुनिया का विनाश भी कराते होंगे - यह कोई भी नहीं जानते। अथाह किताब शास्त्र आदि लिखते हैं। समझते हैं यह फिलॉसाफी के शास्त्र हैं। फिलॉसाफी ज्ञान को कहते हैं। परन्तु यह किसको पता नहीं है कि ज्ञान का सागर तो एक ही परमपिता परमात्मा है। तुम इस द्वारा नॉलेज पाकर हीरे जैसा बनते हो। ईश्वर की गोद पाना ही हीरे जैसा जन्म है। हीरे जैसा बनाने वाला बाप हमको हीरे जैसा बना रहा है। बलिहारी इनकी गाई जाती है। सतयुग में तो बलिहारी की बात ही नहीं। वहाँ तो यह ख्याल भी नहीं रहता।
 
तुम अभी जानते हो हम अभी शूद्र हैं, देवता हैं। अभी हम ब्राह्मण हैं। तुमको ही स्वदर्शन चक्रधारी कहा जाता है। यहाँ तुम स्वदर्शन चक्रधारी बन विष्णु कुल में जाकर राज्य करेंगे। स्वदर्शन चक्रधारी, कमल फूल समान तुमको यहाँ ही बनना है। यहाँ है पुरुषार्थ, वहाँ है प्रालब्ध। ऐसी बातें दुनिया में कोई नहीं जानते। बाप कहते हैं - माया ने तुमको तुच्छ बुद्धि बनाया है। तुम हीरे जैसे देवी-देवता थे। पहले तुमको पता नहीं था। दुनिया में तो अनेक मतें हैं - कोई क्या कहते, कोई क्या कहते। कोई कहते हैं मनुष्य मरते हैं फिर नये पैदा होते हैं। कोई कहते हैं कि जैसा संकल्प करते वैसा बन जाते हैं। अनेक प्रकार की मत वाले हैं। तुम हो श्रीमत पर चलने वाले। श्रीमत से तुम्हारी भी श्रेष्ठ मत बनती है। तुम ही जानते हो, सब तो नहीं जानेंगे। भल कोई लखपति, पद्मपति हैं परन्तु इस ज्ञान में आना बड़ा मुश्किल है। कोटों में कोई ही आता है क्योंकि साहूकारों पर लफड़े बहुत हैं। ड्रामा में नूँध ही ऐसी है जो गरीब ही ईश्वर की गोद लेते हैं। यह रथ तो उनका है ना। बापदादा दोनों इकट्ठे हैं - यह तुम ही समझते हो। निराकार भगवान् को अपना शरीर नहीं है तो जरूर लोन पर शरीर लेना पड़े, तब तो भगवानुवाच हो ना। कृष्ण भगवानुवाच हो नहीं सकता। उनको तो झट सब जान लेते। यह है निराकार, इसलिए इनको कोई जानते नहीं। आजकल बहुत मनुष्य वेष बदलकर कृष्ण का रूप धारण करते हैं। पैसे कमाते हैं। सब माया के मुरीद बन गये हैं। अभी तुम ईश्वर के मुरीद बनते हो। कोई तो 100 प्रतिशत ईश्वर के मुरीद बने हैं, उनकी शरण ली है। बाकी सब माया रावण की शरण में फँसे हुए हैं। बाबा ने समझाया है कि ख़ास भारतवासी सब शोकवाटिका में हैं। सारी दुनिया ही लंका है। उन्होंने तो शास्त्रों में हद की बातें लिख दी हैं। बेहद का बाप बेहद की बातें सुनाते हैं। तुम जानते हो कि अभी हम ईश्वर की गोद में हैं। फिर हम नई दुनिया के मालिक देवी-देवता बनेंगे। वहाँ तो माया होती नहीं। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी बड़े साहूकार होते हैं। फिर जब वैश्य वंशी बनते तब हीरे जवाहरात के मन्दिर बनाते हैं। पहले-पहले जो हीरे जवाहरात के मन्दिर बनाते हैं वे ऐसे महलों में रहते हैं इसलिए गाया जाता है कि भारत हीरे जैसा था। अब तो कौड़ी मिसल हैं। यह है ही पतित दुनिया। भारत ही सचखण्ड पावन था। भारत ही अभी पतित खण्ड है, भारत को अभी हम पावन नहीं कहेंगे। अभी हम पावन बन रहे हैं। वहाँ तो है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया। कृष्ण की कितनी भारी महिमा है! उनको झूले में झुलाते हैं परन्तु उनकी बायोग्राफी को नहीं जानते।
 
तुम जानते हो अभी कलियुग है। भारत ही सतयुग था। बरोबर 84 जन्म भारतवासी ले सकते हैं। तुम जब अच्छी रीति समझाते हो तो मान लेते हैं। इस ईश्वरीय गोद से भारत हीरे जैसा बनता है। यथा राजा-रानी तथा प्रजा। प्रजा को भी हीरे जैसा कहेंगे। अभी यथा राजा-रानी तथा प्रजा कौड़ी मिसल है। अब हीरे जैसा बनाने वाला बाप आया है तो पूरा पुरुषार्थ करना है। हीरे जैसा बनाने वाले बाप से ही पूरा योग लगाना है। तुम जानते हो शिवबाबा से हम वैकुण्ठ का मालिक बनते हैं। पढ़ाई पर ही सारा मदार है। पढ़ाई का ख्याल तो सबको करना चाहिए ना। घर में काम-काज करते भी ऐसा समझो कि हम गॉड फादर के स्टूडेंट हैं। हमारी पढ़ाई बिल्कुल ही सहज है। एक घड़ी भी आकर सुनना जरूर है। प्वाइंट्स ऐसी अच्छी-अच्छी निकलती हैं जो कोई समय अचानक ही किसको तीर लग जाता है इसलिए मुरली तो कैसे भी जरूर सुननी है। नहीं सुन सकते हैं तो कैसे भी करके पढ़ाई पढ़नी है। प्रबन्ध हो सकता है। पहले तो एक हफ्ता भी अच्छी रीति समझना है फिर नई-नई प्वाइंट्स समझने लिए पढ़ना भी जरूर है। बाबा पढ़ाते रहते हैं। प्वाइंट्स निकलती रहती हैं। बोर्ड पर भी लिख सकते हो कि बहनों और भाइयों, आओ, तुम सबको इस सहज ज्ञान और सहज राजयोग से हीरे जैसा बनावें। तुम्हारे पास तो चित्र भी सब हैं। उन पर समझाना बहुत सहज है। जैसे छोटे बच्चे को खिलौने दिखाकर बताया जाता है, पढ़ाते हैं - यह हाथी है, ऐसे-ऐसे करता है; यह ऊंट है..... मनुष्य को भी परमात्मा का पता नहीं है, ही यह जानते कि वह क्या करते हैं। उनके कर्तव्य को जानें तो बाकी महत्व क्या रहा? तो चित्र पर समझाना होता है - यह परमपिता परमात्मा शिव है, यह हीरे जैसा बनाने वाला है, इनसे वर्सा मिलता है ब्रह्मा द्वारा। ब्रह्माकुमार-कुमारियों को शिवबाबा पढ़ाकर ऐसा देवी-देवता बनाते हैं। पढ़ाया है तब तो हम समझा सकते हैं ना। आगे नहीं जानते थे कि परमपिता परमात्मा आकर पढ़ाते हैं। समझानी तो बड़ी सहज है कि भारत हीरे जैसा था, अब कौड़ी जैसा है। फिर कौड़ी पिछाड़ी धक्के क्यों खाते हो? यह सब धन माल आदि मिट्टी में मिल जाना है। अब तुम सचखण्ड के लिए सच्ची कमाई करो। पूरी कमाई करने के कारण बिल्कुल साधारण प्रजा में चले जाते हैं। प्रजा के भी नौकर बन जाते हैं। बाप का बनकर फिर बाप को फारकती दे देते हैं। तो बाबा समझाते हैं कि बच्चे घर में भी मुरली मंगाकर पढ़ सकते हो। मुरली मिलती रहेगी। कहाँ भी हो तुमको पढ़ना जरूर है। पढ़ो और पढ़ाओ। विलायत में भी रहते तुम सर्विस कर सकते हो। बाप का परिचय देना है। प्रभाव तो अन्त में ही निकलना है। समझेंगे कि बरोबर प्राचीन भारत हेविन था। कितना धन यहाँ से लूटकर ले गये हैं!
 
सतयुग में चैतन्य में सारी सृष्टि के तुम मालिक बनते हो, यानी राज्य करते हो। फिर भक्ति मार्ग में जड़ चित्रों को एक कोठरी में बन्द कर रखते हो, यादगार बनाते हो। पूजा का सामान भी तो चाहिए ना। अब तुम सब कुछ जान गये हो कि हम सब पूज्य थे, अब पुजारी बन गये हैं। पूज्य से पुजारी बनने में हमको कितना समय लगता है? कैसे मन्दिर बनें? हमने ही तो मन्दिर बनवाये हैं। हमने अपने जड़ चित्र बनाकर अपनी ही पूजा शुरू की। कितनी वन्डरफुल बातें हैं! बाप समझाते हैं - बच्चे, अब कोई ग़फलत करो। देही-अभिमानी बनने से ही तुम हीरे जैसे बनेंगे। देह-अभिमान में नहीं आना है। देह-अभिमान में आकर बड़े-बड़े हंगामें मचाते हैं तो अपनी भी सत्यानाश और औरों की भी सत्यानाश करते हैं। एक ही ज्ञान सागर से कोई तो पढ़कर ताउसी तख्त पर बैठते हैं और कोई दास दासी। देखो, लक्ष्मी-नारायण स्वर्ग के बादशाह थे। कितनी उन्हों की महिमा, पूजा होती है, मन्दिर बनाते हैं। अब तुम जानते हो कि हम फिर से सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण बन रहे हैं। फिर सूर्यवंशी से चन्द्रवंशी में आयेंगे। राजाई लेना कितना ऊंच पद है। पुरुषार्थ ऐसा करना और कराना है। अगर कराना नहीं जानते तो गोया पुरुषार्थ करना ही नहीं सीखे हैं। आप समान नहीं बना सकते हो तो राजा-रानी बन नहीं सकते। अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना है। यह नशा बहुत थोड़ों को रहता है। देही-अभिमानी हो रहने से खुशी का पारा चढ़ेगा। मम्मा बाबा को देखो कितने ख्यालात रहते हैं। बाप को तरस पड़ता है कि इस बच्ची को मार मिलती है तो कैसे बचाया जाये? एशलम देने में कितने हंगामें हैं। सर्वशक्तिमान शिवबाबा द्वारा भारत को हीरे जैसा बनने की लॉटरी मिलती है। यहाँ तुम सम्मुख सुनते हो, अच्छा लगता है। बाबा डोज़ चढ़ाते रहते हैं। बच्चों को कदम-कदम श्रीमत पर चलना चाहिए। अच्छा!
 
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
1) सुख देने वाले बाप, टीचर, सतगुरू का रिगार्ड जरूर रखना है। उनकी मत पर चलना ही उनका रिगार्ड है।
 
2) घर का कामकाज करते स्वयं को गॉड फादर का स्टूडेन्ट समझना है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है, मुरली मिस नहीं करनी है। सचखण्ड के लिए सच्ची कमाई करनी है।
 
वरदान:-याद और सेवा के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले सफलतामूर्त भव
 
जो बच्चे याद में रहकर सेवा करते हैं उन्हें मेहनत कम और सफलता अधिक मिलती है क्योंकि दोनों का बैलेन्स रखने से ब्लैसिंग मिलती हैं। याद में रहकर जिन आत्माओं की सेवा करते हो उनके मन से वाह श्रेष्ठ आत्मा, वाह मेरी जीवन को बदलने वाली आत्मा...यह वाह-वाह की आशीर्वाद निकलती है। जिन्हें ऐसी आशीर्वाद सदा मिलती है उन्हें बिना मेहनत के नेचुरल खुशी रहती है और सहज आगे बढ़ते सफलता का अनुभव करते हैं।
 
स्लोगन:-जिनके जीवन में शीतलता है वे दूसरों के जलते हुए चित पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
 
 
28/08/18              Morning Murli   Om Shanti           BapDada              Madhuban
Sweet children, you have now become like diamonds from shells. To attain God’s lap means to become like a diamond. Shrimat makes you become like diamonds.
 
Question:
 
What is the reason why some receive a royal status in the golden age whereas others receive the status of a servant or a subject?
 
Answer:
 
Those who study the knowledge of the Ocean of Knowledge very well and imbibe it, those who donate the jewels of knowledge to others and make them similar to themselves at the confluence age receive a royal status in the golden age. Those who are careless or create chaos by coming into body consciousness claim the status of a subject. Those who do not pay attention to this study become servants.
 
Om Shanti
 
Those who are becoming like diamonds from shells, who are My long-lost and now-found effort-making children, know that they can be attacked by storms of Maya. You children make effort to become like diamonds from shells. However, by not following shrimat, you are attacked again by the storms of Maya and your lights are blown out. There is also a song about this. You children have now come to know that you used to be worthy-of-worship deities. The soul hears this from the most beloved, unlimited Father. It is the praise of Him being God, the Highest on High, that is sung. Everyone in the world remembers Him because there is definitely nothing but sorrow in this world. Don’t think that all human beings are senseless. They understand that ancient Bharat was very elevated and that there were no other lands or religions at that time. This is why Bharat is called the ancient land. They understand this much, but how and when that happened or how and when Bharat will become like a diamond again, they do not know. You children are now sitting personally in front of Baba and those who live abroad or at other centres also listen. The unlimited Father, who makes you like a diamond, says: This is your last Godly birth in which God sits here and teaches you to become like diamonds. Therefore, you should have so much regard for such a Father. Regard is given to the true Father, the true Teacher and the Satguru. The Father says: I am the One who gives you children happiness. I come at this time and give you children instructions to make you happy. The shrimat that God gave was later written by human beings in the Gita. However, it was not written accurately. He is now making you the highest on high, like diamonds. Although all souls of the whole world are children of the Father, it is only you who go into the golden age. There is also Brahma, the Father of Humanity. At this time, you are called the grandchildren of Shiv Baba and you are also called the great, great-grandchildren. Expansion continues to take place. In fact, I, the Father, am the Creator of everyone. If you ask people who created you, they would reply: Allah or Khuda (God). They do understand this much, but how He creates them or how the population increases, they don’t know any of that. It is you who understand that the creation is very small in the golden age. There must surely be the Creator who creates the new world. He enables you to attain a deity status in the new world, and so He must definitely have the old world destroyed. No one knows this. People write many books and scriptures. They think that those are scriptures of philosophy. Knowledge is called philosophy. However, no one knows that only the one Supreme Father, the Supreme Soul, is the Ocean of Knowledge. You attain knowledge from that One and become like diamonds. To attain God’s lap means to have a birth like a diamond. The Father who makes everyone become like diamonds is making us like diamonds. His greatness is remembered. There is no question of greatness in the golden age. This thought doesn’t even arise there. You now understand that, at this time, you are neither shudras nor deities, but that you are Brahmins. You are called spinners of the discus of self-realisation. You become spinners of the discus of self-realisation here and you then go and rule in the kingdom of the clan of Vishnu. It is here that you have to become spinners of the discus of self-realisation and like a lotus flower. Here, there is effort whereas there, you have the reward. No one in the world knows about these things. The Father says: Maya has made you into those with degraded intellects. You were deities, like diamonds. At first, you didn’t know this. There are many opinions in the world; some say one thing and others say something else. Some say that when human beings die, they are reborn. Others say that whatever your thoughts are, that is what you become. There are people with many different opinions. You are the ones who follow shrimat. By following shrimat, your ideas become elevated. Only you understand these aspects; not everyone can understand them. Although someone may be a millionaire or billionaire, he finds it difficult to accept this knowledge. Hardly any come because the wealthy have a lot of complications. It is fixed in the drama that only the poor come into God’s lap. This chariot belongs to that One. Bap and Dada are both together. Only you know this. Incorporeal God does not have a body of His own, and so He surely has to take a body on loan, because only then can God speak. There cannot be the versions of God Krishna. People would instantly recognise him. This One is incorporeal which is why no one knows Him. Nowadays, many human beings change their clothes and dress up as Krishna in order to earn money. They have all become followers of Maya. You have now become the followers of God. Some become 100% followers of God and seek asylum with Him, whereas everyone else is trapped in the asylum of Maya, Ravan. Baba has explained that the people of Bharat in particular are all in the cottage of sorrow. The whole world is Lanka. People have only written limited things in the scriptures. The unlimited Father speaks unlimited things. You understand that you are now in the lap of God and that you will become deities, masters of the new world. Maya does not exist there. Those who belong to the sun dynasty and the moon dynasty are very wealthy. Then, when you go into the merchant clan, you build temples of gold and diamonds. The first ones to build such temples of gold and diamonds used to live in such palaces. This is why it is remembered that Bharat was like a diamond. Now it is like a shell. This is an impure world. Bharat was the pure land of truth. Bharat is now an impure land; we couldn’t call Bharat pure now. We are now becoming pure. That world was completely viceless. Krishna’s praise is very high. People swing an image of him in a swing, but they do not know his biography. You understand that it is now the iron age. Bharat was the golden age. It is only the people of Bharat who can take 84 births. People accept these things when you explain to them properly. The people of Bharat become like diamonds by going into God’s lap. As are the king and queen, so the subjects. The subjects, too, are said to be like diamonds. Now kings, queens and subjects are like shells. The Father who makes you become like diamonds has now come, and so you should make full effort. You have to have full yoga with the Father who makes you into diamonds. You understand that you are being made into the masters of Paradise by Shiv Baba. Everything depends on how you study. Everyone should have the thought of studying. Even while doing work at home, consider yourselves to be students of God, the Father. Your study is very easy. It is necessary to come and listen even for a moment. Such very good points continue to emerge so that someone can be struck by an arrow at any time. Therefore, no matter what happens, you definitely have to listen to the murli. If you cannot listen to the murli, you should study this knowledge in whatever way you can; arrangements can be made. First, you should spend a week understanding these things very well. After that, you have to study in order to understand the new points. Baba continues to teach you. Many points continue to emerge. You should also write on the board outside: Brothers and sisters, come in for Yoga. We can enable you to become like diamonds through this easy knowledge and easy Raja Yoga. You have all the posters. It is very easy to explain them, just as little children are shown toys and taught, “This is an elephant, this is what an elephant does and this is a camel etc.” Human beings don’t know the Supreme Soul or what He does. If they don’t know what tasks He performs, He then has no importance left. Therefore, you have to use the pictures to explain to them: This is the Supreme Father, the Supreme Soul, Shiva. He is the One who makes everyone become like a diamond. We receive our inheritance from Him through Brahma. Shiv Baba teaches Brahma Kumars and Kumaris and makes them into deities. It is because you have been taught, that you can explain to others. Previously, you did not know that the Supreme Father, the Supreme Soul, comes and teaches. The explanation of how Bharat was like a diamond and how it has now become like a shell is very easy. Therefore, why do you chase after shells? All of that wealth etc. is going to turn to dust. You should now earn a true income for the land of truth. If you don’t earn a full income, you will become ordinary subjects. You will become servants of the subjects. You belong to the Father and you then divorce Him! Therefore, Baba explains: Children, you can ask for a murli and read it at home. You will continue to receive murlis. Wherever you are, you definitely have to study the murli. Study and teach others. You can do service even while living abroad. You have to give the Father’s introduction. It is only at the end that your influence will spread. They will understand that ancient Bharat used to be heaven. A great deal of wealth was looted from here. In the golden age, you become the living masters of the world, that is, you rule the kingdom. Then, on the path of devotion, you keep non-living images in a little corner of a room and make a memorial. Equipment for worship is also needed. You have now come to know everything about how you were worthy of worship and how you have now become worshippers. How long does it take us to become worthy of worship from worshippers? How were the temples created? We are the ones who got those temples built. We created non-living images of ourselves and started worshipping ourselves. These are such wonderful things! The Father explains: Children, now don’t be careless! It is by becoming soul conscious that you will become like diamonds. Don’t become body conscious. By becoming body conscious, you create a great deal of chaos and you not only destroy yourselves, but you also destroy others. By studying with just the one Ocean of Knowledge, some claim the peacock throne, whereas others become maids and servants. Just look, Lakshmi and Narayan were the emperors of heaven. They are praised and worshipped a great deal. Temples are built to them. You understand that you are now once again becoming Lakshmi and Narayan of the sun dynasty. Then, from the sun dynasty, you will go into the moon dynasty. To claim a kingdom means to attain such a high status. You have to make such effort and inspire others. If you do not know how to inspire others, it means you have not learnt to make effort yourself. You cannot become a king or queen if you cannot make others similar to yourself. You have to donate the imperishable jewels of knowledge. Very few have this intoxication. By remaining soul conscious, your degree of happiness will rise. Just look how much concern Mama and Baba have. The Father feels compassion when a daughter is being beaten; he thinks about how she can be saved. There is a great deal of chaos created when asylum is given. Bharat receives a lottery from the Almighty Authority Shiv Baba, in order to become like a diamond. You are now listening personally and you enjoy it. Baba continues to inject a dose into you. You children should follow shrimat at every step. Achcha.
 
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
 
Essence for Dharna:
 
1. Definitely have regard for the Father, the Teacher and the Satguru, who gives you happiness. To follow His instructions means to have regard for Him.
 
2. While doing your housework consider yourself to be a student of God, the Father. Pay full attention to this study. Never miss a murli. Earn a true income for the land of truth.
 
Blessing:
 
May you become an embodiment of success and receive everyone’s blessings by keeping a balance between remembrance and service.
 
The children who serve while staying in remembrance do not need to work as hard and yet they receive greater success because, by keeping a balance of the two, you receive blessings. The souls whom you serve while staying in remembrance give blessings of “Wah, Wah!” from their minds: Wah elevated soul! Wah soul who has changed my life. Those who constantly receive such blessings have natural happiness without having to work hard for it and easily they experience success while moving forward.
 
Slogan:
 

Those who have coolness in their lives are able to conquer the burning hearts of others.

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