Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 13-Aug- 2018 )
13-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - यह संगमयुग है ब्राह्मणों की पुरी, इसमें तुम ब्रह्मा के बच्चे बने हो, तुम्हें बेहद के बाप का वर्सा लेना है और सभी को दिलाना है"
 
प्रश्नः-इस ज्ञान को अच्छी रीति समझने के लिए किस प्रकार की बुद्धि चाहिए?
 
उत्तर:-
 
व्यापारी बुद्धि वाले ही इस ज्ञान को अच्छी रीति समझेंगे। यह है बेहद का व्यापार। बाप बच्चों को भिन्न-भिन्न कमाई की युक्तियां बताते रहते हैं। बच्चों का काम है मेहनत करना। ऐसी युक्ति निकालनी चाहिए जिससे स्वयं की भी कमाई जमा होती रहे और सर्व का भी कल्याण हो। बाप की याद और सेवा ही कमाई का साधन है।
 
गीत:-
 
रात के राही थक मत जाना........ 
 
ओम् शान्ति।
 
पारलौकिक बाप बच्चों के प्रति समझा रहे हैं, कहते हैं कि बच्चे मुझ अपने पारलौकिक परमपिता परमात्मा को भूलना नहीं है। गाया भी जाता है गीता का भगवान्। बाइबिल का भगवान् वा कुरान का भगवान् कभी कोई नहीं कहेंगे। कोई भी धर्म स्थापन करने वाले ऐसे नहीं कहेंगे कि हे बच्चे अब मुझ पारलौकिक बाप को याद करो। ऐसे कोई किसको कह नहीं सकते। बच्चा पैदा होता है, बाप को जानते हैं। बाप को ही याद करते रहेंगे क्योंकि वारिस है। अब पारलौकिक बाप कहते हैं - हे मेरे सिकीलधे बच्चे, अब तुमको मेरे पास आना है। मैं तुम बच्चों को परमधाम निर्वाणधाम ले चलने लिए आया हूँ। तुम भक्त मुझ भगवान् को याद करते थे। अब मैं कहता हूँ तुम मुझे निरन्तर याद करो। मैं तुमको सुखधाम ले चलता हूँ। अपने दिल अन्दर देखो - तुमने आधाकल्प कितना दु: उठाया है! पहले से ही इतना दु: नहीं मिलता है। पीछे दु: वृद्धि को पाता है। अब पारलौकिक बाप कहते हैं मुझे याद करो। सभी धर्म वालों को कहते हैं - हे मेरे बच्चे, तुम अपने को भाई-भाई समझते आये हो। अब तुम आत्माओं का जो पारलौकिक बाप है, जिसको सब जीव आत्मायें दु: में याद करती आई हैं - वह अब ब्रह्मा मुख कमल द्वारा तुम बच्चों को समझा रहे हैं। समझानी दी जाती है - ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को। प्रजापिता ब्रह्मा को सिर्फ कुमारियां ही नहीं थी। कुमार-कुमारियां दोनों थे। भाई-बहिन थे - ब्रह्माकुमार-कुमारियां। एक ही बाप के बच्चे एक ही दादे के पोत्रे पोत्रियां ठहरे। तुम बच्चों को सम्मुख समझाया जाता है। तुम सम्मुख सुनते हो, समझते हो कि हम निराकार शिवबाबा के सब बच्चे हैं। बरोबर हम ब्रह्मा द्वारा शिवबाबा से स्वर्ग की बादशाही पाने के लिए राजयोग सीख रहे हैं। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख द्वारा जो तुमको समझाते हैं वह फिर औरों को समझाना है। जो लौकिक भाई-बहन हैं, उन्हों को समझाना है। तुम हो गये पारलौकिक। पारलौकिक बाप से तुम वर्सा लेते हो। तुम कहलायेंगे पारलौकिक भाई-बहन। वह हुए लौकिक भाई-बहन।
 
तो बाप समझाते हैं - बच्चे, हूबहू 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक तुम बुद्धि का योग लगाओ तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। पाप भस्म हो जायेंगे। बाप की याद को ही योग-अग्नि कहा जाता है। इस सर्व-शक्तिमान बाप की याद में रहने से तुमको शक्ति मिलेगी। वह एक ही निराकार बाप है, इस ब्रह्मा मुख से सुनाते हैं। जरूर रथ तो चाहिए ना, जिस रथ के ऊपर उनकी सवारी हो। यह रथ है, इसमें परमपिता परमात्मा सवार हो बच्चों को यह सिखलाते हैं। इस सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की समझानी देते हैं, जिससे तुम भविष्य में चक्रवर्ती राजा-रानी बन जायेंगे और निरन्तर याद करने से विकर्माजीत बन जायेंगे, पावन पुण्य आत्मायें बन जायेंगे। बाबा जो स्वर्ग स्थापन करते हैं उस स्वर्ग के तुम चक्रवर्ती महाराजा-महारानी बनेंगे। सो भी 21 जन्मों के लिए और भारत में जो भी उत्सव होते हैं - शिव जयन्ती, होली, राखी, जन्माष्टमी, दीवाली आदि इन सब उत्सवों का महत्व और हरेक की बायोग्राफी हम आपको सुनाते हैं। आओ बहनों-भाइयों, हम आपको पारलौकिक बाप का परिचय देवें। परिचय ले सहज राजयोग सीख तुम विश्व के मालिक बनेंगे। वर्ल्ड ऑलमाइटी, पवित्रता-सुख-शान्तिमय अटल-अखण्ड राज्य करेंगे। यह किसको भी समझाना बहुत सहज है। इस रीति लिखना भी है। बाप के समझाये हुए यह राज़ हम तुमको समझायेंगे। बाप के बच्चे बनेंगे तब तो वर्सा मिलेगा ना। तुम भी बेहद के बाप से बेहद का वर्सा आकर लो। जन्म-जन्म तो हद का वर्सा लेते आये हो। वह है दु: का वर्सा क्योंकि यह है ही रावण राज्य। राम के राज्य में सदा सुख था। फिर माया रावण के राज्य में तुम दु:खी हुए हो। यह तो तुम कोई को भी समझा सकते हो। पब्लिक भाषण में भी तुम समझा सकते हो। ऊंच ते ऊंच है भगवान्। फिर हैं ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, फिर उन्हों की महिमा। गाया भी हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना। तो जरूर वह स्थूलवतन में होगा। ब्राह्मण हैं ब्रह्मा की सन्तान। उनको ही प्रजापिता ब्रह्मा कहा जाता है। पहले-पहले ब्राह्मण वर्ण चाहिए। ऊंच ते ऊंच है ब्राह्मण वर्ण। कौन स्थापन करते हैं? परमपिता परमात्मा। पिता के सब बच्चे ठहरे। ब्रह्मा द्वारा इन ब्रह्माकुमार-कुमारियों को बैठ पढ़ाते हैं। यह संगमयुग है ब्राह्मणों की पुरी। फिर रुद्र पुरी में जाकर विष्णुपुरी में आते हैं। पहले-पहले रुद्र माला में वह आयेंगे जो निरन्तर याद करेंगे। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजायें बनते हैं ना। तो इस समय परमपिता परमात्मा द्वारा राजयोग सीखने से राजाई पद पाते हैं। बाप कहते हैं कि निरन्तर मुझ बाप को याद करो, बुद्धि का योग मेरे साथ लगाओ। यह है रूहानी यात्रा। जन्म-जन्म से तो जिस्मानी यात्रायें करते आये, अब बाप आकर रूहानी यात्रा सिखलाते हैं। कहते हैं मुझ बाप को और स्वीट होम को याद करो, जहाँ से तुम आये हो पार्ट बजाने। तुम गोरे थे, विश्व पर राज्य करते थे फिर तुम काम चिता पर बैठ काले हो गये हो, सुन्दर से श्याम बन गये हो। भारत बड़ा सुन्दर था। नाम ही था स्वर्ग, अब तो नर्क है ना। तुम ही पूज्य से फिर पुजारी बनते हो तो ऊंच ते ऊंच भगवान् शिव फिर ब्रह्मा विष्णु, शंकर, इन द्वारा बाप कार्य करवाते हैं। इन्हों को निमित्त बनाया है। करनकरावनहार है ना। ब्रह्मा द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने के लिए राजयोग सिखलाते हैं। बाप कहते हैं कि यह राजयोग सिखलाकर पूरा करुँगा तो फिर विनाश होगा। फिर जो नई दुनिया स्थापन करते हैं उनमें जाकर राज्य करेंगे फिर जितना जो पुरुषार्थ करे। सारा पुरुषार्थ पर मदार है। कहते हैं गंगा पतित-पावनी फिर परमात्मा को पुकारते क्यों हो - हे पतित पावन आओ? तो पुजारी भक्तों को भक्ति का फल मिलना चाहिए ना। स्वर्ग में तुमको जीवन्मुक्ति का फल मिलता है और सबको शान्ति का फल मिल जाता है। स्वर्ग में सुख-शान्ति दोनों ही थे, सब सुखी थे - जिन्होंने राजयोग सीखा। विकर्म विनाश तो करना ही है, हिसाब-किताब चुक्तू तो होना ही है। फिर नयेसिर पार्ट बजाना है। सबका हिसाब-किताब चुक्तू कराए पावन बनाए बाप साथ में ले जाते हैं। यह सब राज़ समझने के हैं।
 
मनुष्य भगवान् को याद करते हैं तो जरूर भगवान् को सृष्टि पर आना पड़े। कहते हैं कि सृष्टि पर आकर भक्तों को भक्ति का फल देता हूँ। मुक्ति वा जीवनमुक्ति, शान्ति वा सुख देता हूँ। दुनिया में सुख, शान्ति वा सम्पत्ति ही मांगते हैं। मनुष्य तो सम्पत्ति के लिए ही पुरुषार्थ करते हैं कि धनवान बनें। समझते हैं सम्पत्ति में ही सुख होगा। परन्तु भल किसको कितनी भी सम्पत्ति है, राज्य तो फिर भी माया का है ना। पतित दुनिया है ना, तो पाप जरूर होंगे। सम्पत्ति के लिए बहुत पाप करते हैं। यह है ही पाप आत्माओं की दुनिया। इसमें कोई भी पुण्य आत्मा होती नहीं। पुण्य आत्माओं की दुनिया में फिर कोई पाप आत्मा नहीं होती। यथा राजा रानी तथा प्रजा पुण्य आत्मा होते हैं। इन पावन देवी-देवताओं को पतित दुनिया में राजा लोग भी पूजते हैं क्योंकि समझते हैं - यह सर्वगुण सम्पन्न हैं। हमारे में कोई गुण नाहीं, आपेही तरस परोई..... फिर यह कहते हम ही भगवान् हैं। पतितों को पावन बनाने वाला तो एक ही बाप है। पतित-पावन कहने से बुद्धि चली जानी चाहिए निराकार भगवान् की तरफ। निराकार उपासी भी होते हैं ना। तो वह निराकार बाप है ऊंच ते ऊंच, जब तक उनका पूरा परिचय नहीं तो उपासना क्या करेंगे? भल कहते हैं परमपिता परमात्मा शिव है। निराकार उपासी हैं ना। निराकार को याद करने वाले। परन्तु वह है कौन? पूरा परिचय चाहिए ना। निराकार को क्यों याद करते हैं, उससे क्या मिलेगा? क्या निराकारी दुनिया में जायेंगे? आत्माओं को तो निराकारी दुनिया में जाने के रास्ते का पता नहीं है। भल सब याद करते हैं परन्तु बिगर परिचय। इस प्रकार याद करने से तो कोई पावन नहीं बनेंगे। यहाँ तो निराकार खुद साकार में आते हैं। मनुष्य तो निराकारी दुनिया में जाने के लिए कितने शास्त्र आदि पढ़ते हैं! परन्तु कोई जा नहीं सकते। रास्ते का भी पता नहीं है। जिस्मानी यात्रा के पण्डे लोग रास्ता जानते हैं तब तो ले जाते हैं ना। यहाँ इस रास्ते को कोई जानता नहीं, जो समझाये। इसके लिए कहते - बेअन्त है, तो फिर याद कैसे करें? कुछ भी समझते नहीं। कोई ने कहा बेअन्त है, फिर कोई ने कहा निराकार है, तो फिर निराकार उपासी बने। आजकल तो फिर कह देते कि हम वही हैं। दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान मत होती जाती है। जो आता वह कहते रहते हैं। बाप समझाते हैं ऊंच ते ऊंच बाप गाया जाता है। सर्वव्यापी कहने से तो सब ऊंच ते ऊंच हो जाते हैं। इतने पतित-दु:खी वह फिर ऊंच ते ऊंच कैसे होंगे। एक तरफ कहते नाम रूप से न्यारा है फिर उनको पत्थर भित्तर में लगाना इसको ही धर्म ग्लानी कहा जाता है। अभी फिर कहते हम ही परमात्मा हैं। अभी जो कुछ पास्ट हुआ, सब ड्रामा है। वह फिर भी होगा। भूल पिछाड़ी भूल, ग्लानी पिछाड़ी ग्लानि करते-करते भारत ऐसा पतित हो गया है। बाप का परिचय तो सबको मिलना है। तुम्हारा प्रभाव निकलेगा इतने ढेर ब्रह्माकुमार कुमारियों द्वारा ज्ञान मिलता है। यह तो बरोबर परमपिता परमात्मा की ही बात है। सबसे ऊंच ते ऊंच है परमपिता परमात्मा, उनकी महिमा बहुत है, पारावार नहीं। अब बाप बैठ अपना परिचय देते हैं - मैं क्या करता हूँ? मैं आकर सभी पाप आत्माओं को पुण्य आत्मा बनाता हूँ, राजयोग सिखलाता हूँ। गाया भी जाता है ईश्वर की गत-मत न्यारी। सो तो जरूर जब यहाँ आयेंगे तब तो मत देंगे ना। क्राइस्ट की सोल आई, क्रिश्चियन धर्म स्थापन करने। बाप की मत तो सबसे न्यारी है। यह बाप तो है सबसे ऊंच। भारत में मनुष्य मात्र में श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ देवी-देवतायें ही डबल सिरताज बने हैं। बाप की है श्रीमत। भगवानुवाच - मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ जो और कोई सिखला सके। लिखा हुआ है भगवानुवाच। वह है ही हेविनली गॉड फादर जो स्वर्ग की स्थापना करते हैं, स्वर्ग के लिए तुम ब्राह्मणों को राजयोग सिखलाते हैं। ब्राह्मण वर्ण सबसे ऊंच हो गया। बाप सर्विस की युक्तियां बहुत बतलाते हैं। भल कोई गालियां भी दे, तुम चित्र रख दो, उनमें लिखा होगा कि इन वर्णों में भारत ही आता है। अब है कलियुग, शूद्र वर्ण। फिर तुम बाप द्वारा ब्राह्मण बने हो। तुम्हारा नाम है - ब्रह्माकुमार-कुमारी। तुम्हारे चित्र ऐसे होने चाहिए जो मनुष्यों को वन्डर लगे कि ऐसे चित्र तो कहीं नहीं देखे। यह ज्ञान व्यापारी बुद्धि वाले अच्छी रीति समझ सकते हैं। यह व्यापार भी अच्छा है। तो श्रीमत देने वाला भी सर्वोत्तम है। परन्तु बहुत बच्चे मेहनत नहीं करते। घर में सोये पड़े रहते तो बाबा खड़ा करते हैं। तुम एक चित्र बनायेंगे, इससे हजारों का कल्याण होगा, सब तुम्हारी वाह-वाह करेंगे। वन्दे मातरम् कहेंगे। अच्छा!
 
मात-पिता बापदादा का मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
1) रुद्र माला में पहला नम्बर आने के लिए निरन्तर बाप की याद में रहना है। बाप और स्वीट होम की याद से स्वयं को पावन बनाना है।
 
2 रूहानी पण्डा बन सबको सच्ची यात्रा करानी है। एक बाप की श्रीमत से स्वयं को डबल सिरताज बनाना है।
 
वरदान:-अमृतवेले से लेकर रात तक मर्यादापूर्वक चलने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भव
 
संगमयुग की मर्यादायें ही पुरुषोत्तम बनाती हैं इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। तमो-गुणी वायुमण्डल, वायब्रेशन से बचने का सहज साधन यह मर्यादायें हैं। मर्यादाओं के अन्दर रहने वाले मेहनत से बच जाते हैं। हर कदम के लिए बापदादा द्वारा मर्यादायें मिली हुई हैं, उसी प्रमाण कदम उठाने से स्वत: ही मर्यादा पुरुषोत्तम बन जाते हैं। तो अमृतवेले से रात तक मर्यादापूर्वक जीवन हो तब कहेंगे पुरूषोत्तम अर्थात् साधारण पुरुषों से उत्तम आत्मायें।
 
स्लोगन:-जो किसी भी बात में स्वयं को मोल्ड कर लेते हैं वही सर्व की दुआओं के पात्र बनते हैं।
 
 
 
13/08/18              Morning Murli   Om Shanti           BapDada              Madhuban
Sweet children, the time of Brahmins is at this confluence age when you become the children of Brahma. You have to claim your inheritance from the unlimited Father and also enable others to claim it.
 
Question:
 
What type of intellect do you need in order to understand this knowledge very well?1
 
Answer:
 
Those with business intellects will understand this knowledge very well. This is an unlimited business. The Father continues to show you children many different methods with which you can earn an income. The duty of you children is to make effort. You should invent such methods that you continue to accumulate an income for yourselves and in which there is also benefit for others. Remembering the Father and doing service are the means of your earning an income.
 
Song:
 
O traveller of the night do not become weary! Your days of happiness are about to come. 
 
Om Shanti
 
The Father from beyond explains to the children. He says: Children, don’t forget Me, your Supreme Father from beyond, the Supreme Soul. The God of the Gita is remembered. No one ever speaks of the God of the Bible or the God of the Koran. None of the founders of religions have said: O children, remember Me, your Father from beyond. No one would be able to say this to anyone. When a baby is born, it recognises his father. Because he is an heir, he will continue to remember his father. Now, the Father from beyond says: O My long-lost and now- found children, you now have to come to Me. I have come to take you children back to the supreme abode, the land of nirvana. You devotees used to remember Me, God. I now tell you to remember Me constantly. I take you to the land of happiness. Look in the mirror of your heart and see how much sorrow you have experienced for half a cycle. You didn’t experience as much sorrow in the beginning. It is later that sorrow increases. The Father from beyond now says: Remember Me! He says to souls of all religions: O My children, you have all been considering yourselves to be brothers. Now, the Father from beyond of you children, the One all human souls remember at the time of sorrow, has come and explains to you children through the lotus mouth of Brahma. Explanation is given to Brahmins, the mouth-born children of Brahma. Prajapita Brahma did not only have kumaris; he had both kumars and kumaris. There were brothers and sisters, Brahma Kumars and Kumaris. All are the children of the one Father, the granddaughters and grandsons of the one Grandfather. You children are having it explained to you personally. You listen personally and you understand that you are all children of incorporeal Shiv Baba. You are definitely studying Raja Yoga in order to claim your sovereignty of heaven from Shiv Baba through Brahma. Whatever the Supreme Father, the Supreme Soul, explains through Brahma’s mouth, you have to explain that to others. You have to explain to your physical brothers and sisters. You are now called parlokik (from beyond). You are claiming your inheritance from the Father from beyond. Therefore, you call yourselves parlokik brothers and sisters, whereas others are physical brothers and sisters. The Father explains: Children, connect your intellects in yoga to Me, exactly as you did 5000 years ago and your sins will be absolved; your sins will be burnt away. Remembrance of the Father is called the fire of yoga. By staying in remembrance of the Almighty Authority you receive power. He is the one and only incorporeal Father. He gives you knowledge through this Brahma’s mouth. He definitely needs a chariot to do this, a chariot in which He can ride. This is the chariot which the Supreme Father, the Supreme Soul, enters and teaches these things to you children. He gives you the explanation of this world from its beginning, through its middle to its end whereby you become rulers of the globe, future kings and queens. By staying in constant remembrance, you will become conquerors of vice; you will become pure, charitable souls. You will become rulers of the globe, world emperors and empresses for 21 births in the heaven that Baba establishes. We can relate the importance of all the festivals that take place in Bharat such as Shiv Jayanti, Holi, Rakhi, Janamashtami, Diwali etc., and also the biographies of all the deities. Come, brothers and sisters, we will give you the introduction of your Father from beyond. By receiving this introduction and studying easy Raja Yoga, you can become the masters of the world. You will rule the unshakeable and constant World Almighty kingdom of purity, peace and happiness. It is very easy to explain this to anyone. You should also write in this way: We will explain the secrets that the Father has explained to us. You will claim your inheritance from the Father if you become a child of Him. You too can come and claim your unlimited inheritance from your unlimited Father. For birth after birth you have been claiming limited inheritances. Those are inheritances of sorrow, because it is the kingdom of Ravan. There was constant happiness in the kingdom of Rama. Then, in the kingdom of Maya, Ravan, you became unhappy. You can explain this to anyone. You can also explain these things in a public lecture. God is the Highest on High. Then there are Brahma, Vishnu and Shankar and their praise. It is remembered that establishment took place through Brahma. Therefore, he must surely have been in the corporeal world. Brahmins are the children of Brahma. He is called Brahma, the Father of Humanity. So, the Brahmin caste is needed first. The Brahmin caste is the highest of all. Who creates this caste? The Supreme Father, the Supreme Soul. All are children of the Father. He sits here and teaches you Brahma Kumars and Kumaris through Brahma. This confluence age is the land of Brahmins. Then you will go to the land of Rudra and then to the land of Vishnu. The ones who stay in constant remembrance will be the first ones to go into the rosary of Rudra. They will become the kings and queens of the sun dynasty and the moon dynasty. Therefore, by studying Raja Yoga from the Supreme Father, the Supreme Soul, at this time you can claim a royal status. The Father says: Constantly remember Me, your Father. Connect your intellects in yoga to Me. This is a spiritual pilgrimage. You have been going on physical pilgrimages for birth after birth. The Father now comes and teaches you the spiritual pilgrimage. He says: Remember Me, your Father and your sweet home, the place from where you came to play your parts. When you were beautiful you ruled the world. Then, when you sat on the pyre of lust, you became ugly; from beautiful, you became ugly. Bharat was very beautiful; the very name was heaven; now it is hell. You are those who become worshippers from being worthy of worship. Therefore, the Highest on High is God Shiva, who accomplishes His tasks through Brahma, Vishnu and Shankar. They have been made the instruments responsible for this. He is Karankaravanhar. He teaches Raja Yoga through Brahma in order to make Bharat into heaven. The Father says: Only when I finish the task of teaching you Raja Yoga will destruction take place. You will then go and rule the kingdom of the new world, which is now being established. However, this depends on how much effort you make. Everything depends on effort. They say that the Ganges is the Purifier. So, why do they call out to the Supreme Soul, “O Purifier, come.”? The worshipper devotees have to receive the fruit of their worship and devotion. They receive the reward of liberation-in- life in heaven and all the rest receive their reward of peace. All those who studied Raja Yoga were happy in heaven; there was both peace and happiness. You have to have your sins absolved. All the karmic accounts have to be settled, and you then have to play your parts again from the beginning. The Father enables everyone to settle their karmic accounts. He makes them pure and takes them back with Him. The significance of this aspect has to be understood. Human beings remember God. Therefore, He definitely has to come onto this earth. He says: I come onto this earth to give devotees the fruit of their devotion. I grant them liberation and liberation-in-life and also peace and happiness. People everywhere in the world ask for peace, happiness and wealth. Human beings make so much effort to attain money so that they can become wealthy. They consider happiness to be in wealth. However, it doesn’t matter how much wealth anyone has, this is still the kingdom of Maya; it is still the impure world. Therefore, there must definitely be sin here. People commit a lot of sin to attain wealth. This is the world of sinful souls. There is not a single pure, charitable soul here, whereas there are no sinful souls in the world of pure, charitable souls. The king, queen and subjects are all pure, charitable souls. Kings in the impure world also worship those pure deities because they consider the deities to be completely virtuous and that they themselves have no virtue. They say: Have mercy on us! Then they say that they are God! There is only the one Father who purifies the impure. By saying “Purifier” your intellect should go up to incorporeal God. There are worshippers who worship the incorporeal One. Therefore, the incorporeal Father is the Highest-on-High. Until they have His proper introduction, how can they worship Him? They say that Shiva is God, because they remember the Incorporeal, but who is He? They need His full introduction. Why do they remember the incorporeal One? What do they receive from Him? Will they go to the incorporeal world? Souls do not know the path to the incorporeal world. Even though everyone remembers Him, they don’t have His introduction. No one can become pure through that type of remembrance. The incorporeal One, Himself, comes here into the corporeal. People study so many scriptures etc. in order to go to the incorporeal world, but no one can go there. They don’t know the way there. The guides of physical pilgrimages know those ways, which is why they are able take people there. No one here knows this path, so how could they explain? This is why they say that God is infinite. In that case, how could they remember Him? They don’t understand anything at all. Someone said that He was infinite and someone else said that He was incorporeal. Therefore, they became worshippers of the incorporeal One. Nowadays, they say that they are God! Day by day, people’s ideas are becoming tamopradhan; they say whatever they think. The Father explains that He has been remembered as the Highest on High. Through the idea of omnipresence, everyone becomes the Highest on High. How can those who are impure and unhappy be the Highest on High? On the one hand, they say that He is beyond name and form, and on the other, they put Him into the pebbles and stones. That is called defamation of religion. Now they say: We are the Supreme Soul. Whatever has passed was in the drama. It will happen again. By them making mistake after mistake, by giving insult after insult, Bharat has become so impure. Everyone has to receive the Father’s introduction. Your influence will spread. People receive knowledge through so many Brahma Kumars and Kumaris. These things are surely spoken by the Supreme Father, the Supreme Soul. The highest of all is the Supreme Father, the Supreme Soul. He is praised a great deal; there is no limit to His praise. The Father now sits here and gives His own introduction. What do I do? I come and teach Raja Yoga and transform impure souls into pure souls. It is remembered: “God, Your ways and means are unique!” Therefore, it is definitely when He comes here that He would give directions. The Christ soul came to establish the Christian religion. The Father’s directions are unique. This Father is the highest of all. Out of all the human beings in Bharat, it is the highest-on-high deities who wear the double crown. This is the Father’s shrimat. God speaks: I teach you Raja Yoga, which no one else can teach. It is written: “God speaks”. He is Heavenly God, the Father, who establishes heaven. He teaches you Brahmins Raja Yoga for heaven. The Brahmin caste is the highest of all. The Father shows you many methods for doing service. Even though someone insults you, you must still put up the pictures. It must be written on them that Bharat goes through these castes. Now that it is the iron age, it is the shudra caste. Then you become Brahmins through the Father. You are called Brahma Kumars and Kumaris. Your pictures should be such that human beings become amazed and say that they have never seen such pictures anywhere else. Those with business intellects can understand these things very well. This business is very good, and the One who gives elevated directions is also the most elevated. However, there are many children who don’t make effort at all; they stay at home sleeping. So Baba comes to uplift them. If you create one picture, thousands will experience benefit from that. Everyone will sing your praise. They will say: Salutations to you mothers. Achcha.
 
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
 
Essence for Dharna:
 
1. In order to become the first ones in the rosary of Rudra, stay in constant remembrance of the Father. Make yourself pure by remembering the Father and the sweet home.
 
2. Become a spiritual guide and take everyone on the true pilgrimage. Follow the shrimat of the one Father and make yourself double crowned.
 
Blessing:
 
May you become a most elevated being by following the highest codes of conduct and who moves along according to the codes of conduct from amrit vela till night time.
 
The codes of conduct of the confluence age make you great and this is why you are called “maryada purshottam” (Those who become the highest by following the highest codes of conduct). The easiest way to protect yourself from the tamoguni atmosphere and its vibrations is to follow the codes of conduct. Those who stay within the codes of conduct are saved from labouring. You have received the codes of conduct for every step you take and by taking steps accordingly, you automatically become maryada purshottam. So, from amrit vela till night time, let your life be according to the codes of conduct and you will then be said to be the highest beings, that is, the elevated souls amidst ordinary people.
 
Slogan:Those who mould themselves to any situation become worthy of everyone’s blessings.

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