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Type: Article
Created By: Bk Ganapati
Title: Mohjit Raja ( Hindi )
Unique Id: 171227140930 Create Time: 2017-12-28 01:09:30 Update Time: 28-12-2017 01:09:30 Category: Religion, Ethics , Spirituality & New Age Subcategory: Story Summary: Mohjit Raja - The King who has won over attachment
Table of Content of This Article
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1 Image Mohjit Raja
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Details ( Page:- Mohjit Raja )
*मोहजीत राजा की कथा*
 एक बार एक राजकुमार अपने कई सैनिकों के साथ शिकार पर गया वह बहुत अच्छा शिकारी था शिकार के पीछे पर इतना दूर निकल गया कि सारे सिपाही पीछे छूट गए अकेले पढ़ने का एहसास होते ही वह रुक गया उसे प्यास भी लग रही थी उसके पास में ही एक कुटिया दिखाई दी वहां एक संत ध्यान मग्न होकर बैठे थे राजकुमार ने संत के पास जाकर पूछा पानी मिलेगा संत ने राजकुमार का परिचय पूछा राजकुमार ने श्याम से कहा कि वह एक राजा का लड़का है जिसने मोह को जीत लिया है संत बोला असंभव एक राजा और moh  पर विजय यहां मैं एक सन्यासी हूं तब भी मोह को जीत नहीं पा रहा हूं और तुम कहते हो कि तुम्हारे पिताजी एक राजा है और moh को जीत चुके हैं राजकुमार ने कहा ना केवल मेरे पिताजी बल्कि सारी प्रजा ने भी moh  को जीत रखा है संत को इसका विश्वास नहीं हुआ
 राजकुमार ने कहा कि आप चाहे तो इस बात की परीक्षा ले ले संत ने राजकुमार की कमीज मांगी और उसे कुछ और पहनने को दिया संत ने तब एक जानवर को मार कर अपने खून मैं राजकुमार की कमीज को डुबाया और वह शहर में चिल्लाता हुआ गया कि राजकुमार को एक शेर ने मार दिया शहर के लोग कहने लगे अगर वह चला गया तो क्या हुआ आप क्यों चिल्ला रहे हो वह उसका भाग्य था संत ने सोचा की प्रजा नहीं चाहती होगी कि राजकुमार भविष्य में राजा बने इसीलिए इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है संत महल में गया और राजकुमार की मौत की बात अपने भाई और बहन को सुनाई उन्होंने कहा कि अब तक वह हमारा भाई था अब किसी और का भाई बन जाएगा कोई हमेशा के लिए साथ तो नहीं रह सकता इसलिए रोने और चिल्लाने की आवश्यकता नहीं है
  संत को लगा की बहन को दूसरा भाई अधिक पसंद है और भाई खुश है कि अब राज्य उसे मिलेगा इसलिए दोनों ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है फिर वह राजा के पास गया और खबर सुनाई पिता बोले आत्मा तो अमर और अविनाशी है इसलिए चिल्लाने की कोई बात नहीं है वह मेरा पुत्र था इसलिए मैंने सोचा कि वह राजा बनने वाला है लेकिन अब दूसरे पुत्र को राज्य मिलेगा मैं उसे वापस नहीं ला सकता हूं इसलिए दुख क्यों करूं संत सोच में पड़ गया लेकिन अभी और भी दो लोग बात की थी
 राजकुमार की माता और पत्नी संत ने सोचा कि यह दो व्यक्ति तो जरूर व्याकुल होंगे लेकिन वहां से भी वैसा ही उत्तर पाकर संत आश्चर्य में पड़ गया उसे अपने आप पर ही विश्वास नहीं हो रहा था कि वह सच देख रहा है आखिर हार कर उसने अपने आने का उद्देश्य और राजकुमार को जिंदा होने की बात सुनlदी है राजकुमार ने वापस आकर अपना राज्य भाग संभाला और हर चीज पहले की तरह चलती रही

? इसका भावार्थ यही है मोह  पांच विकारों में से एक है वह हमारी शांति को छीन लेता हैं परखने की शक्ति को खत्म कर देता है वह सच्चाई को खत्म करता है जिसमें वह है उसमें बुद्धिमानी नहीं हो सकती परमात्मा इस कथा से शिक्षा देना चाहते हैं कि *हमें दूसरों में मोह ना ही दूसरों का हम में मोह* हो तभी हम विश्व के मालिक बन सकते हैं?

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